कानपुर में 28 मई को ज्येष्ठ माह का प्रथम मंगल के चलते हनुमान मंदिरों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. पनकी स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर, दक्षिणेश्वर हनुमान मंदिर जीटी रोड, ड्योढ़ी घाट स्थित हनुमान मंदिर में विशेष तैयारियां की गईं थी
ज्येष्ठ माह का प्रथम मंगल का अपना अलग महत्व है. लोग इस दिन हनुमान जी के दर्शन-पूजन करते हैं और अपनी-अपनी स्वेच्छा से भंडारा भी करते हैं.
ज्येष्ठ माह का प्रथम मंगल की अपनी अलग महत्ता है. ज्येष्ठ महीने के बड़े मंगल में कानपुर के हर बड़े से लेकर छोटे मंदिरों में रौनक देखने को मिलती है और श्रद्धालु हनुमान जी के दर्शन कर धन्य होते हैं. इस दौरान जगह-जगह भंडारे भी देखने को मिलते हैं, जिससे शहर की रौनक बढ़ जाती है.
कानपुर में हर ज्येष्ठ माह के प्रथम मंगल को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में हनुमान भक्त मंदिर आते हैं और भगवान की पूजा अर्चना करते हैं.
किदवई नगर स्थित के ब्लाक शिवधाम मन्दिर में क्षेत्रवासियों ने ज्येष्ठ माह के प्रथम मंगल के दिन किया सुन्दर काण्ड एवं हनुमान चालीसा का पाठ
इस मौके पर क्षेत्रीय गणमान्य लोगों के साथ पंडित सुप्रीत जी, पडित जागेश्वर द्विवेदी, राजेश सिंह शशिकांत शुक्ला, जय कुमार अवस्थी कुसुम अग्रवाल,अमित अवस्थी, संदीप द्विवेदी,अश्वनी पाण्डेय,अलोक श्रीवास्तव, रामसेवक अवस्थी, नरेंद्र भदौरिया, राजू शुक्ला, अरिंदम द्विवेदी (लड्डू ) आदि मौजूद रहे, वहीं महिलाओं की टोली ने भी हनुमान जी के भजन गा कर पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
पाठ की समाप्ति के बाद हनुमाज जी की आरती कर प्रसाद वितरण भी हुआ। इसके साथ ही क्षेत्रवासियों ने यह प्रण किया की सनातन को बचाने, भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए एवं घर की सुख-शान्ति बनी रहने के लिए इस ज्येष्ठ माह में बाकी तीनो मंगल को मंदिरों मे हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।
क्यों मनाए जाते हैं बड़े मंगल?
कहते हैं सबसे पहले तो इसकी शुरुआत लखनऊ के अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर परिसर में मेले के रूप में हुई थी. एक किवदंति यह कहती है कि नवाब सआदत अली ने अपनी मां के कहने पर मंदिर का निर्माण कराया था. इसमें मंदिर के शिखर पर चांद की आकृति हिंदू मुस्लिम एकता की कहानी को बयां करती है. जिसके बाद से यहां ये उत्सव मनाया जाने लगा.
इसके अलावा दूसरी किवदंति के अनुसार कहा जाता है कि यहां पर कुछ व्यापारी केसर का व्यापार करने आए थे. लेकिन, उनका केसर बिक नहीं रहा था जिसके बाद नवाब वाजिद अली शाह ने उनका पूरा केसर खरीद लिया था. ये महीना ज्येष्ठ का था. व्यापारियों ने अपना सामान बिकने की खुशी में यहां भंडारा किया था, जो परंपरा अभी भी चली आ रही है.
आपको बता दें कि प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ज्येष्ठ माह का प्रथम मंगल का अपना अलग महत्व है. लोग इस दिन हनुमान जी के दर्शन-पूजन करते हैं और अपनी-अपनी स्वेच्छा से भंडारा भी करते हैं. इस बार पहला बड़ा मंगल 28 मई को पड़ रहा है तो वहीं उसके बाद 4 जून, 11 जून और 18 जून को बड़े मंगल पड़ रहे हैं. पहले तो बड़े मंगल में पूड़ी-सब्जी और बूंदी के वितरण से ही भंडारे की शुरुआत होती थी पर अब धीरे-धीरे लोगों ने इसके साथ ही कढ़ी-चावल, छोला-भटूरे, राजमा-चावल, शरबत और पिज्जा जैसी चीज भी भंडारे में बांटना शुरू कर दिया है.
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