मतगणना की प्रक्रिया में जनता के प्रश्नोत्तर
प्रायः देखा गया है कि जनता के दिमाग में मतगणना को लेकर बहुत से अनसुलझे सवाल होते है और इन्हीं अनसुलझे सवालों को लेकर प्रत्याशी अपने समर्थकों को गुमराह करने का प्रयास करते रहते है आइये शुरु करते हैं सवालों और उनके जवाबों का एक सिलसिला
कौन खोलता है स्ट्रांग रूम का ताला? कैसे होती है काउंटिंग,अंदर कौन जा सकता है?लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट बस कुछ घंटे दूर है. 4 जून को मतगणना के साथ पता लग जाएगा कि सरकार किसकी बन रही है. मतगणना वाले दिन होता क्या-क्या है? कैसे होती है वोटों की गिनती और कौन करता है, काउंटिंग सेंटर के अंदर कौन जा सकता है? मतगणना के बाद EVM का क्या होता है? आइये जानते हैं ऐसे सवालों के जवाब
कौन खोलता है स्ट्रांग रूम का ताला?
मतगणना वाले दिन सुबह 7 बजे के आसपास प्रत्येक दल के उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में स्ट्रांग रूम का ताला खोला जाता है. इस दौरान रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के स्पेशल ऑब्जर्वर भी मौजूद रहते हैं. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है. इसके बाद EVM की कंट्रोल यूनिट (CU) काउंटिंग वाली टेबल पर लाई जाती है. इस प्रक्रिया की भी वीडियोग्राफी कराई जाती है. सीसीटीवी से भी निगरानी होती रहती है.
टेबल पर रखने के बाद प्रत्येक कंट्रोल यूनिट की यूनिक आईडी और सील का मिलान किया जाता है. इसे हर उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट को भी दिखाया जाता है. इसके बाद कंट्रोल यूनिट में बटन प्रेस करने के बाद हर उम्मीदवार का वोट EVM में उसके नाम के आगे दिखने लगता है.
कैसे चुने जाते हैं मतगणना कर्मचारी?
किसी भी काउंटिंग सेंटर के एक हॉल में कुल 15 टेबल लगी होती है. 14 टेबल काउंटिंग के लिए और एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर के लिए होती है. कौन सा कर्मचारी किस टेबल पर काउंटिंग करेगा यह बहुत सीक्रेट रखा जाता है. मतगणना वाले दिन सुबह 5-6 बजे के बीच हर जिले का निर्वाचन अधिकारी रैंडम तरीके से कर्मचारियों को हॉल और टेबल अलॉट करता है.
कितने बजे शुरू होगी मतगणना?
वोट की गिनती सुबह 8:00 बजे शुरू होती है. रिटर्निंग ऑफिसर के पास के अधिकार होता है कि वह किसी विशेष परिस्थिति में टाइम आगे-पीछे कर सकता है. सबसे पहले पोस्टल बैलट और इलेक्ट्रॉनिक पोस्टल बैलट की गिनती होती है. इसमें करीब 30 मिनट का वक्त लगता है.
कब आएगा पहला रूझान?
पोस्टल बैलट की गिनती के तुरंत बाद EVM के वोटों की गिनती शुरू होती है. पहला रुझान सुबह 9:00 बजे के आसपास आना शुरू हो जाता है.
काउंटिंग सेंटर में कितने एजेंट होते हैं?
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक मतगणना स्थल के प्रत्येक हॉल में हर टेबल पर उम्मीदवार की तरफ से एक एजेंट मौजूद रहता है. किसी एक हॉल में 15 से ज्यादा एजेंट नहीं हो सकते हैं.
एजेंट को कौन चुनता है?
प्रत्येक उम्मीदवार अपने एजेंट का चयन खुद करता है और जिला निर्वाचन अधिकारी को उनका नाम, तस्वीर, जैसी चीजें शेयर करता है. काउंटिंग वाली तारीख से 1 दिन पहले ही जिला निर्वाचन अधिकारी प्रत्येक उम्मीदवार के एजेंट का नाम, फोटो सहित जारी करता है.
काउंटिंग सेंटर के अंदर कौन जा सकता है?
काउंटिंग सेंटर के अंदर मतगणना कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सुरक्षा कर्मी और एजेंट ही जा सकते हैं. जब तक वोटों की गिनती पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी उम्मीदवार के एजेंट को बाहर जाने की इजाजत नहीं मिलती है. मतगणना में तैनात सुरक्षा कर्मियों और अधिकारियों के अलावा किसी को भी अंदर मोबाइल ले जाने की इजाजत भी नहीं होती.
कब होती है री-काउंटिंग?
यदि किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट को डाटा में गड़बड़ी/त्रुटि की आशंका है तो वह री-काउंटिंग यानी दोबारा मतगणना की मांग कर सकता है. चुनाव आयोग के मुताबिक जब तक आधिकारिक तौर पर रिजल्ट की घोषणा नहीं हो जाती, तब तक कोई भी उम्मीदवार री-काउंटिंग की मांग कर सकता है.
कौन करता है हार-जीत का ऐलान?
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के नियम 63 के मुताबिक मतगणना पूरी होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर हर उम्मीदवार को मिले वोट का डाटा रिजल्ट शीट में डालते हैं और उसके बाद रिजल्ट की घोषणा करते हैं. साथ-साथ विजेता उम्मीदवार को जीत का सर्टिफिकेट भी देते हैं.
काउंटिंग के बाद EVM का क्या होता है?
काउंटिंग पूरी होने के बाद EVM दोबारा स्ट्रांग रूम (Strong Room) में रख दी जाती है. नियमानुसार काउंटिंग के 45 दिनों तक ईवीएम को स्ट्रांग में रूम में रखना होता है. इसके बाद इसे दूसरे स्टोर में शिफ्ट कर दिया जाता है.
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