कुॅवारी लड़कियों को ही बनाता था शिष्या जिन्हें लेनी पड़ती थी खास दीक्षा- भोले बाबा पर एक नया खुलासा (हाथरस काण्ड)

 

कुॅवारी लड़कियों को ही बनाता था शिष्या जिन्हें लेनी पड़ती थी खास दीक्षा- भोले बाबा पर एक नया खुलासा (हाथरस काण्ड)


कुंवारी लड़कियां ही बनती शिष्या, लेनी पड़ती है खास दीक्षा- भोले बाबा पर चौंकाने वाला खुलासा


हाथरस में 2 जुलाई को भगदड़ में 123 लोगों की मौत हो चुकी है। आए दिन सूरजपाल उर्फ साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा पर नए खुलासे हो रहे हैं। वहीं, इस मामले में एसडीएम समेत 6 अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया। साथ ही कई गिरफ्तारी भी हो चुकी है।


हाथरस: उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2 जुलाई को सूरजपाल उर्फ भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि के सत्संग के बाद भगदड़ मच गई थी। इस हादसे में 123 लोगों की जान चली गई थी। एसडीएम समेत छह अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है और कई गिरफ्तारी हो चुकी हैं। रोज भोले बाबा पर नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस बीच, आजतक चैनल ने बड़ा खुलासा किया है। चैनल ने महिलाओं से बातचीत की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भोले बाबा हमेशा कुंवारी लड़कियों से घिरे रहते थे। सत्संग के दौरान लड़कियों को आयोजन समिति लाल रंग की ड्रेस देती थी, जिसे पहनकर लड़कियां सत्संग में जाती थीं और मदहोश होकर डांस करती थीं।

 भोले बाबा के सत्संग में जाने वाली एक महिला ने बताया कि सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के आसपास रहने वाली कुंवारी लड़कियां उनको अपना पति मानती थीं। इसी तरह से उनके साथ रहती भी थीं। भोले बाबा के चश्मे में भगवान का स्वरूप लड़कियों को दिखाई देता था। सत्संग के दौरान ही भोले बाबा चश्मा पहनता था। सत्संग में जाने वाली महिला ने बताया कि भोले बाबा सत्संग के दौरान महिलाओं को देखकर मुस्कुराता था। दीक्षा लेने वाली महिलाएं उसके आसपास रहती थीं। महिलाएं जब सूरजपाल के आसपास रहती थीं, तब वह चश्मा पहनता था।

रिपोर्ट के अनुसार, एक अनुयायी ने बताया कि भोले बाबा के आश्रम और संस्थान में महिलाओं की अलग-अलग कैटेगरी निर्धारित थी। इसमें केवल कुंवारी लड़कियां ही भोले बाबा की शिष्या होती थीं, जिसके लिए उन्हें विशेष दीक्षा लेनी पड़ती थी। वहीं, शादीशुदा महिलाओं को सूरजपाल में भोले बाबा नजर आते थे। शादीशुदा महिलाओं को भोले बाबा अपने पास नहीं आने देता था। एक महिला ने बताया कि बाबा को लाल रंग बहुत पसंद था, इसीलिए कुंवारी लड़कियां लाल जोड़े में तैयार होती थीं। जेवरात के अलावा श्रृंगार कर बाबा के पास जाती थीं और नाचती थीं।

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