हरसिंगार पौधा एक, लाभ अनेक
साइटिका जैसे खतरनाक रोगों की अचूक औषधि
हरसिंगार एक किसिम के फूल वाला पौधा है जे भारतीय उपमहादीप (दक्खिन एशिया) दक्खिन-पुरुब एशिया के मूल पौधा है।
सनातन धर्म के ग्रंथों में कई दैवीय पौधों का जिक्र किया गया है। जिन्हें केवल प्रणाम करने, पूजा करने या फिर छूने मात्र से ही सारी तकलीफें दूर हो जाती हैं और मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति भी होती है। ऐसे ही एक पौधे का जिक्र हम इस लेख में कर रहे हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस पौधे का स्पर्श ही आपकी सारी थकान चुटकियों में दूर कर सकता है।
हम जिसे पौधे की बात कर रहे हैं उसे हरसिंगार या फिर पारिजात कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम ‘निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस’ है। वहीं, अंग्रेजी में इसे नाइट जैस्मीन कहते हैं। कहते हैं कि वनवास काल के दौरान माता सीता पारिजात के पुष्पों के हार बनाकर पहनती थीं। इसलिए ही इसका एक नाम श्रृंगार हार भी पड़ा। इसकी उत्पत्ति को लेकर कथा मिलती है कि इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी और यह देवताओं को मिला था। स्वर्ग में इंद्र ने अपनी वाटिका में इसे रोप दिया था। मान्यता के अनुसार नरकासुर के वध के पश्चात इंद्र ने श्रीकृष्ण को पारिजात का पुष्प भेंट किया, जिसे उन्होंने देवी रुक्मिणी को दे दिया। देवी सत्यभामा को देवलोक से देवमाता अदिति ने चिरयौवन का आशीर्वाद दिया था। लेकिन पारिजात पुष्प के प्रभाव से देवी रुक्मिणी भी चिरयौवन हो गईं, जिसे जानकर सत्यभामा क्रोधित हो गईं और श्रीकृष्ण से पारिजात वृक्ष लाने की जिद करने लगीं। इसके बाद श्रीकृष्ण को पारिजात धरती पर लाना पड़ा।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पारिजात को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है। मान्यता है कि पारिजात का वृक्ष जिसके भी घर में या फिर आस-पास भी होता है उसके घर के सभी तरह के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं। इसके अलावा आपको जानकार हैरानी होगी कि पारिजात के फूलों को खासतौर पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है लेकिन केवल उन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है, जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। जबकि दूसरे फूलों को लेकर यह कहा जाता है कि जमीन पर गिरे हों तो उन्हें पूजा में प्रयोग नहीं कर सकते हैं। कहा जाता है कि जहां भी यह पौधा होता है वहां माता लक्ष्मी का साक्षात् निवास होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, हरसिंगार के फूलों की सुगंध से सारा स्ट्रेस दूर हो जाता है। साथ ही घर में जहां तक इसकी खुशबू जाती है वहां तक सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मान्यता है कि जिस भी स्थान पर यह पौधा लगाया जाता है वहां नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती हैं। इसके प्रभाव से घर-परिवार में रहने वाले सभी जातकों की सेहत भी अच्छी रहती है और मान्यताओं के अनुसार लंबी आयु भी मिलती है।
हरसिंगार न केवल पूजा.पाठ या फिर सुख-समृद्धि के लिहाज से ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। आयुर्वेद के अनुसार पारिजात के 15 से 20 फूलों या इसके रस का सेवन करने से हृदय संबंधित परेशानियों से राहत मिलती है। इसके अलावा कहते हैं कि इसकी पत्तियों को पीसकर पीने से इम्युनिटी भी स्ट्रॉन्ग होती है। लेकिन यह उपाय किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर ही अपनाएं।
आयुर्वेद के अनुसार पारिजात या हरसिंगार एक औषधीय पौधा है.
आयुर्वेद के अनुसार पारिजात या हरसिंगार एक औषधीय पौधा है. इसके पत्ते में कई गुण मौजूद होते हैं. भारत में इस पौधे को पवित्र माना जाता है. मान्यता के अनुसार पारिजात पौधे को देवराज इंद्र ने स्वर्ग में लगाया था. पारिजात का दूसरा नाम हरसिंगार है. हरसिंगार के फूल बेहद सुगन्धित, छोटे पखुड़ियों वाले और सफेद रंग के होते हैं. फूल के बीच में चमकीला नारंगी रंग इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता है.
यह फूल सिर्फ रात को ही खिलता है, इसलिए इसे नाइट ब्लूमिंग जैस्मीन ( night-blooming jasmine) भी कहते हैं. इसे रात की रानी भी बोला जाता है. इस पौधे के पत्ते, फूल और छाल में कई गुण पाए जाते हैं. इससे साइटिका और ऑर्थराइटिस के दर्द को ठीक किया जा सकता है. इसके अलावा इसके पत्ते में पेट के कीड़ों की मारने की क्षमता होती है. साथ ही इसके पत्ते सर्दी-खांसी में बेहद फायदेमंद होते हैं. एचटी की खबर के मुताबिक पारिजात में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जो कई बीमारियों से लड़ने में मददगार होते हैं. तो आइए जानते हैं पारिजात से किस-किस चीज का इलाज किया जा सकता है.
ढेरों फूलों वाले पारिजात का पौधा जानें कैसे उगाएं व कैसे रखें ध्यान
सुगंधित फूलों वाला पारिजात, जिसे हरसिंगार या रात की रानी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू मान्यताओं में इसे स्वर्ग से आया हुआ पौधा भी कहा जाता है। इसकी खुशबू बहुत ज्यादा पसंद की जाती है और इसका इस्तेमाल पारंपरिक दवाओं में भी किया जाता है। पारिजात के मात्र एक पौधे से ही ढेरों फूल मिल जाते हैं।
परिजात के फूल रात के समय खिलते हैं और सुबह ज़मीन पर गिरे मिलते हैं। यानी अगर आपके घर में यह पौधा है और सुबह आपको फूलों की ज़रूरत हो, तो आपको इन्हें तोड़ना नहीं पड़ेगा। सूरत की रहनेवाली मीनल पंड्या परिजात के पेड़ के नीचे रात को ही एक कपड़ा रख देती हैं, जिससे सारे फूल उस कपड़े में ही गिरते हैं और फिर वह सुबह इन फूलों को इस्तेमाल के लिए इकट्ठा कर लेती हैं।
वह कहती हैं कि इसके फूल के साथ पत्ते भी बड़े काम के होते हैं। सर्दी, बुखार सहित कई बिमारियों में लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। सबसे अच्छी बात है कि यह पौधा आराम से लग जाता है और बिना ज्यादा देखभाल के अच्छे से विकसित भी होता है।
इसे बस अच्छी धूप चाहिए होती है। इसे बीज और कटिंग के ज़रिए भी लगाया जा सकता है, लेकिन मीनल के अनुसार नर्सरी से एक मदर प्लांट लाकर इसे लगाना सबसे आसान तरीका है।
कैसे लगाएं पारिजात का पौधा?
यूं तो इसे सीधा ज़मीन पर लगाना सबसे बेहतर होता है, इससे यह जल्द ही एक बड़ा पेड़ बन जाएगा। लेकिन अगर इतनी जगह नहीं है, तो आप इसे 15 से 20 इंच के गमले में भी लगा सकते हैं।
पौधा लगाने के लिए आप अपने पास की नर्सरी से एक अच्छी क्वालिटी का पौधा चुनकर लाएं। जानकार कहते हैं कि आप नर्सरी वाले से साल भर फूल उगने वाला पौधा ही मांगे।
इसके लिए आप मिट्टी, रेत और खाद (कोई भी ऑर्गेनिक खाद) को समान मात्रा में मिलाकर पॉटिंग मिक्स तैयार करें। पौधा लगाने के लिए ऐसी जगह चुनें, जहां दिन के चार घंटे धूप आती हो। बोगनवेलिया की तरह इसे भी अच्छी धूप की ज़रूरत होती है। अब आप पौधे को ज़मीन या 20 इंच के गमले में लगा दें। इसे ज्यादा पानी देने से बचें। लेकिन नियमित रूप से पानी देते रहें। इस पौधे को बढ़ने के लिए ज्यादा खाद आदि की ज़रूरत नहीं होती। अगर आपको पौधे को अच्छा घना करना है, तो समय-समय पर कटिंग करते रहें। मीनल का कहना है कि यह पौधा बहुत जल्दी बढ़ता है, इसलिए कटिंग करना जरूरी हो जाता है। छह महीने में पौधा अच्छा बड़ा हो जाएगा और एक साल के अंदर तो इसमें ढेरों फूल आने लगेंगे। मानसून के मौसम में इसे बीज से भी लगाना आसान होगा। लेकिन अगर आपको ज्यादा इंतजार नहीं करना, तो इसका छोटा पौधा खरीदना ही सही होगा। तो अगर आपके घर के गार्डन में पारिजात का पेड़ नहीं है, तो देर किस बात की, इस मानसून अपने घर में एक पारिजात का पौधा ज़रूर लगाएं।
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