जबसे हुआ है, कांग्रेस (राहुल गांधी) का हस्ताक्षेप शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के मुआवजे पर हक को लेकर, तब से Social Media पर छिड़ी बहस

जबसे हुआ है, कांग्रेस (राहुल गांधी) का हस्ताक्षेप शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के मुआवजे पर हक को लेकर,   तब से Social Media पर छिड़ी बहस

 

जबसे हुआ है, कांग्रेस (राहुल गांधी) का हस्ताक्षेप शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के मुआवजे पर हक को लेकर,   तब से Social Media पर छिड़ी बहस

सियाचिन में शहीद हुए देवरिया निवासी कैप्‍टन अंशुमान सिंह के परिवार में पैसों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सास-ससुर ने बहू स्मृति पर कीर्ति चक्र और सम्मान राशि लेकर अपने मायके चले जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने एनओके नियमों में बदलाव को लेकर भी आवाज उठाई है।


  • शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार में विवाद
  • कीर्ति चक्र और मुआवजे को लेकर बहु पर आरोप
  • माता-पिता ने कहा, बहु सब कुछ लेकर मायके गई 
  • देवरिया: यूपी स्थित देवरिया जिले के रहने वाले शहीद कैप्‍टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति और ससुरालवालों के बीच पैसों को लेकर जंग झिड़ गई है। अंशुमान सिंह की मां मंजू सिंह और पिता रवि प्रताप सिंह ने बहु स्मृति पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। परिवार ने कहा कि बहु स्मृति ने बेटे को मिले कीर्ति चक्र को छूने तक नहीं दिया। साथ ही सम्मान और अनुग्रह राशि भी साथ ले गई। वहीं अपना पता भी चेंज करा दिया है। सोशल मीडिया पर कुछ दिनों से शहीद अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति को काफी सराहा जा रहा था। हालांकि शहीद के माता-पिता की राहुल गांधी ने मुलाकात के बाद माहौल बदल गया है। माता-पिता के गंभीर आरोप के बाद स्मृति के लिए काफी तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
  • सोशल मीडिया एक्स (ट्विटर) पर एक यूजर अशोक भारद्वाज ने लिखा कि दरअसल, गलती न तो पत्नी की है और न ही माता-पिता की। हाल ही में बालक बुद्धि की मुलाकात इस परिवार से हुई थी, तब से यह आग जारी है। ये खतरनाक इंसान जहां भी जाता है, तबाही मचा देता है। यह समाज को तोड़ रहा है, परिवारों को तोड़ रहा है। अगर इसे नहीं रोका गया तो एक दिन ये देश को तोड़ देगा। वहीं केपी सिंह ने कहा कि स्मृति को जो भी करना था, आपसी सहमति से करना था। एक-दूसरे का दुख बाटना था, बढ़ाना नहीं था।
  • राहुल गांधी और परिवार पर हमला

    अशोक कुमार ने लिखा कि बहु का संबंध दिवंगत कप्तान साहब तक ही था। अभी तो उसकी सारी उम्र पड़ी है। अगर अंशुमान के के माता-पिता के अंदर इंसानियत और प्रेम की भावना होती तो इस बच्ची को अपनी बेटी बनाकर रखते। इसका नया घर बसाने की जिम्मेदारी उठाते, लेकिन ये कपटी लोग उस की जिंदगी बर्बाद करने पर उतारू है। वहीं एक यूजर सनातनी दर्शिता ने लिखा कि जब से मामले में राहुल गांधी घुसे तब से मामला ही बदल गया। घर की बात आपस में बैठ के सुलझाया जा सकता है।
  • कोई मां-बाप अपनी बेटी को अकेले नहीं छोड़ता

    एक्स पर राहुल मिश्रा ने लिखा कि वैसे तो ये इनका पारिवारिक मामला है। बिग बॉस जैसे आपसी लड़ाई दिखाने वाले शो को देखने वाले देश के लोगों को अपने घर की नहीं बल्कि दूसरो के घर की लड़ाई और कहानियां सुनने में बड़ा मजा आता है। वो उनके घर का मामला है वो उनपर छोड़ दो, वो खुद सुलझा लेंगे। देश की मीडिया को भी किसी के घर के मामले में दखल नहीं देना चाहिए। बात रही लड़की की, किसी भी लड़की जिसे सिर्फ 6 महीने ही हुए हों ससुराल में और ये ट्रैजेडी हो जाए तो कोई भी लड़की वापस अपने मायके ही जाएगी। कोई भी बाप और मां अपनी बेटी को ऐसे नहीं छोड़ सकता। फिलहाल वो परिवार दुख में है, उनके घर की बातों को सार्वजनिक नहीं करना चाहिए।
  • सास-ससुर को मिली सहायता राशि

    एक यूजर डॉ. श्याम कुमार ने लिखा कि शहीद अंशुमन सिंह के माता-पिता ने आरोप लगाया, उनकी बहू शहीद परिवार को मिलने वाली सहायता लेने के बाद घर छोड़कर चली गई है। अब उनके पास कुछ नहीं बचा है, लेकिन यदि आपको सास-ससुर के साथ नहीं रहना तो सरकार से मिली राशि इन्हें दे देना चाहिए। बेटे को खोने का जो गम होता हैं, वो सिर्फ एक मां ही जान सकती है और कोई नहीं।
  • क्या है पूरा मामला

    बता दें कि कैप्टन अंशुमान सिंह को जुलाई 2023 को सियाचिन में शहीद हो गए थें। हाल में ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। यह सम्मान लेने के लिए उनकी पत्नी स्मृति और मां मंजू ने प्राप्त किया था। इस बीच सोशल मीडिया पर स्मृति की पांच महीने पहले शादी होने और शहीद की विधवा होने की काफी चर्चा हो रही थी। अब स्मृति पर उन्हीं के सास-सासुर ने कटघरे में खड़ा कर दिया है। साथ ही शहीद कैप्टन अंशुमान के पिता ने रवि प्रताप सिंह एनओके नियम में बदलाव करने की आवाज उठाई है। इस नियम के तहत ही शहीद के परिवार को आर्थिक सहायता और अन्य सुविधाएं दी जाती हैं।
  • हाल में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शहीद कैप्टन अंशुमान के परिवार से मुलाकात की थी। इसके बाद शहीद की मां मंजू सिंह ने अग्निवार योजना पर सवाल उठाए थे। अब परिवार ने अपने साथ हुए मामले का हवाला देते हुए एनओके नियम में बदलाव की जरूरत बताई है।
  • NOK: व्यक्ति के जीवनसाथी, निकटतम रिश्तेदार, परिवार के सदस्य या कानूनी अभिभावक से है. जब कोई शख्स सेना में भर्ती होता है तो उसके माता-पिता या अभिभावकों को NOK के रूप में नामांकित किया जाता है.

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