जानिए अपने माही के बारे में हम बात कर रहे हैं देश के सितारे महेन्द्र सिंह धोनी के बारे में

 

जानिए अपने माही के बारे में हम बात कर रहे हैं देश के सितारे महेन्द्र सिंह धोनी के बारे में

भारत के पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं। वह 2007 से 2017 तक सीमित ओवरों के प्रारूप में और 2008 से 2014 तक टेस्ट क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे। उन्हें व्यापक रूप से क्रिकेट के इतिहास में सबसे महान कप्तान विकेट कीपर.बल्लेबाज और फिनिशर में से एक माना जाता है। वह दाएं हाथ के विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में खेलते हैं और अपनी शांत कप्तानी और तंग परिस्थितियों में मैच खत्म करने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं। वह इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान भी रहे हैं।

Personal Life 

महेंद्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को झारखण्ड के रांची में एक मध्यम वर्गीय राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम पान सिंह व माता श्रीमती देवकी देवी है उनके पैतृ जहां उनके पिताजी श्री पान सिंह मेकोन कंपनी के जूनियर मैनेजमेंट वर्ग में काम करने लगे। मेकॉन लिमिटेड यह कंपनी केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली एक सार्वजनिक क्षेत्र मे आनेवाली कंपनी है। रांची मे पान सिंह और उनके परिवार को रहने के लिए सरकारी निवासस्थान मिला था। धोनी की माता श्रीमती देवकी देवी एक साधारण गृहिणी थीं। धोनी की एक बहन है जिनका नाम है जयंती और एक भाई है जिनका नाम नरेन्द्र है। धोनी का बडा भाई नरेंद्र सिंह राजनीति में कार्यरत है और उनकी बहन जयंती गुप्ता एक शिक्षिका है। पहले धोनी के बाल लम्बे हुआ करते थे जो अब उन्होंने कटवा दिए हैं कारण वे अपने पसंदीदा बॉलीवुड स्टार जॉन अब्राहम  जैसे दिखना चाहते थे। धोनी एडम गिलक्रिस्ट के प्रशंसक है और बचपन से ही उनके आराध्य है उनके क्रिकेट सहयोगी सचिन तेंदुलकर बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन और गायिका लता मंगेशकर है।

धोनी द ए वी जवाहर विद्यालय मंदिर, श्यामली (वर्त्तमान में जे वी एम , श्यामली, रांची के नाम से जाने जाते है) में पढ़ते थे। धोनी को बैडमिंटन और फुटबॉल इन दोनों खेलों मे विशेष रुचि थी। इंटर-स्कूल प्रतियोगिता में, धोनी ने इन दोनों खेलों में स्कूल का प्रतिनिधित्व किया था जहां उन्होंने बैडमिंटन व फुटबॉल में अपना अच्छा प्रदर्शन दिखाया जिस कारण वे जिला व क्लब लेवल में चुने गए थे। धोनी अपने फुटबॉल टीम के गोलकीपर भी रहे चुके हैं। उन्हें लोकल क्रिकेट क्लब में क्रिकेट खेलने के लिए उनके फुटबॉल कोच ने भेजा था। हालांकि उसने कभी क्रिकेट नहीं खेला था, फ़िर भी धोनी ने अपने विकेट-कीपिंग के कौशल से सबको प्रभावित किया और कमांडो क्रिकेट क्लब के (1995-1998) में नियमित विकेटकीपर बने। क्रिकेट क्लब में उनके अच्छे प्रदर्शन के कारण उन्हें 19997/98 सीज़न के वीनू मांकड़ ट्राफी अंडर सिक्सटीन चैंपियनशिप में चुने गए जहां उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। दसवीं कक्षा के बाद ही धोनी ने क्रिकेट की ओर विशेष ध्यान दिया और बाद में वे एक अच्छे क्रिकेटर बनकर उभरे।

एमएस धोनी को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए 2008 में भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार मिला और भारत सरकार ने उन्हें 2009 में भारत के चौथे नागरिक पुरस्कार पद्मश्री और 2018 में तीसरे नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया। महेंद्र सिंह धोनी विश्व के अकेले कप्तान हैं जिन्होंने क्रिकेट विश्व कप, आईसीसी पुरुष टी-20 विश्व कप और आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी तीनों जीता है। महेंद्र सिंह धोनी भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक रखते हैं, यह उन्हें 2011 में भारतीय सेना द्वारा एक क्रिकेटर के रूप में राष्ट्र की सेवा के लिए प्रदान किया गया था। महेंद्र सिंह धोनी को दुनिया के सबसे लोकप्रिय क्रिकेटरों में से एक माना जाता है। वह भारत में एक प्रमुख ब्रांड एंडोर्सर सेलिब्रिटी हैं।


एमएस धोनी ने लगातार दूसरी बार क्रिकेट विश्व कप में 2015 क्रिकेट विश्व कप में भारत का नेतृत्व किया और पहली बार भारत ने सभी ग्रुप मैच जीते साथ ही इन्होंने लगातार 11 विश्व कप में मैच जीतकर नया रिकार्ड भी बनाया ये भारत के पहले ऐसे कप्तान बने जिन्होंने 100 वनडे मैच जिताए हो। और उन्होनें कहा है कि जल्द ही वो एक ऐसा कदम उठाएंगे जो किसी कप्तान ने अपने कैरियर में नहीं उठाया वो टीम को २ हिस्सों में बाटेंगे जो खिलाड़ी अच्छा नहीं खेलेगा उसे वो दूसरी टीम में डाल देंगे और जो खिलाड़ी अच्छा खेलेगा वो उसे अपनी टीम में रख लेंगे इसमें कुछ नये खिलाड़ी भी आ सकते हैं। एमएस धोनी ने ४ जनवरी 2017 को भारतीय एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय और ट्वेन्टी.20 अंतरराष्ट्रीय टीम की कप्तानी छोड़ी और 15 अगस्त 2020 को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषण कर दी। उन्हें टी-20 विश्व कप 2022 के लिए भारतीय टीम का मेंटर  बनाया गया था।

भारतीय टीम के सफल कप्तान एमएस धोनी की प्रतिष्ठित नंबर 7 जर्सी को बीसीसीआई ने रिटायर घोषित कर दिया हैण् एमएस धोनी ने करीब तीन साल पहले इंटरनेशनल क्रिकेट जगत को अलविदा कहा था जिसके बाद अब उनकी जर्सी को भी बीसीसीआई ने रिटायर कर दिया है।

👉 BCCI ने ये भी फैसला लिया है कि एमएस धोनी की प्रतिष्ठित  7 नंबर जर्सी अब किसी अन्य भारतीय खिलाड़ी के लिए उपलब्ध नहीं होगी।

👉 इनके नाम IPL 2024 मे सबसे 110 मीटर लंबा छक्का मारने का रिकॉर्ड दर्ज हो गया था |


खेल शैली

धोनी एक आक्रामक सीधे हाथ के बल्लेबाज और विकेट.कीपर है। धोनी उन विकेटकीपरों में से एक है जिन्होंने जूनियर व भारत के ए क्रिकेट टीम से चलकर राष्ट्रीय दल में प्रतिनिधित्व किया। पार्थिव पटेलएअजय रातरा और दिनेश कार्तिक उन्हीं के दिखाए हुए रास्ते पे चले। धोनी जो अपने दोस्तों में माही के नाम से जाने जाते है। बिहार क्रिकेट टीम में 1998/99 के दौरान अपना योगदान दिया और भारत.ए टीम के लिए २००४ में हुए केन्या दौरे का प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित हुए। त्रिदेशीय श्रृंखला में पाकिस्तान.ए टीम के खिलाफ धोनी ने गौतम गंभीर के साथ मिलकर कई शतक बनाये और उस साल के अंत में भारतीय राष्ट्रीय टीम में चयनित हुए।

धोनी ज्यादातर बैकफ़ुट में खेलने के लिए और मज़बूत बॉटम हैण्ड ग्रिप होने के वजह से जाने जाते है, वे बहुत तेज़ गति से बल्ला चलाते है, जिसके कारण गेंद अक्सर मैदान छोड़ जाती है। उनके प्रारम्भिक मुद्रा में ज्यादा संचार नहीं दिखती जैसे गेंद का पीछा करना ,उनके शैली में गेंद का पिच में न आना और इनसाइड एजिंग ज्यादा दिखती है।

2005 में अपने पाँचवे एक दिवसीय मैचमें पाकिस्‍तान के खिलाफ धोनी ने 148 रनों की जबर्दस्त पारी खेली थी। ये किसी भारतीय विकेट.कीपर के द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर है। उस साल के अंत में श्रीलंका के खिलाफ नाबाद १८३* रन बनाकर उसने ना सिर्फ़ ख़ुद का बनाया रिकॉर्ड तोड़ा बल्कि एक दिवसीय मैचों की दूसरी पारी में बनने वाला अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड भी कायम किया था। सीमित ओवरों के प्रारूप में धोनी की सफलता ने उनका स्थान भारतीय टेस्ट टीम में पक्‍का कर दिया और 2005-06 के अंत में हुए एक दिवसीय क्रिकेट में अपने अनुकूल प्रदर्शन से धोनी को आईसीसी एक दिवसीय रेटिंग में नम्बर १ बल्लेबाज के रूप में स्‍थापित किया।

इसके बाद धोनी का फॉर्म गिरता रहा जब २००६ में भारत आईसीसी चैम्पियन ट्राफी, डीएलऍफ़ कप और द्विपक्षीय श्रृंखला में वेस्ट इंडीज एवं दक्षिणी अफ्रीका के खिलाफ मैच हार गया। २००७ की शुरुआत में दक्षिणी अफ्रीका एवं वेस्ट इंडीज़ के खिलाफ धोनी के फॉर्म में वापस आने की बात तब ग़लत साबित हो गई जब भारत २००७ क्रिकेट विश्व कप में पहले ही राउंड में बाहर हो गया। वर्ल्ड कप के बाद धोनी ने द्विपक्षीय एकदिवसीय टूर्नामेंट में बंगलादेश के खिलाफ मैन ऑफ़ द सीरीज़ का खिताब जीता। फिर २००७ में इंग्लैंड दौरे के लिए धोनी को एक दिवसीय टीम का उप-कप्तान बनाया गया।

अच्छे बल्लेबाज़ के रूप में धोनी ने अपनी लड़ाकू शैली को नियंत्रण करने की समझदारी दिखाई और जिम्मेदार पारियां खेली। अपनी चिरपरिचित शैली को छोड़ धोनी ने दो अनोखे और असरदार क्रिकेट स्ट्रोक अपनाए।भारतीय क्रिकेट टीम में अपने प्रवेश से आज तक, धोनी की आक्रामक बल्लेबाजी की शैली, क्षेत्र पर सफलता, व्यक्तित्व और लंबे बालों ने उसे भारत में सबसे ज्यादा लोकप्रिय खिलाड़ी बना दिया।

घरेलू कैरियर

जूनियर क्रिकेट

धोनी को 1998/99 में बिहार अंडर-19 में शामिल किया गया था जिसमें इन्होंने 5 मैचों (7 पारियों) में कुल 176 रन बनाये, पर टीम छह के समूह में चौथे स्थान पर आई थी इसलिए क्वार्टर फाइनल तक नहीं आ पाई। धोनी को पूर्वी क्षेत्र अंडर-१९ दस्ते (सीके नायडू ट्रॉफी) और बाकी भारतीय दस्ते (एम ए चिदम्बरम ट्रॉफी और वीनू मांकड़ ट्रॉफी) के लिए नहीं चुना गया था। बिहार अंडर-१९ क्रिकेट टीम 1999-2000 के फाइनल में पहुँची जहां धोनी ने बिहार के लिए 84 रन बनाए थे जबकि टीम ने कुल 357 रन बनाए थे। जबकि पंजाब अंडर.19 टीम ने कुल 839 रन बनाए जिसमें युवराज सिंह ने 358 रन बनाए थे युवराज सिंह आगे चलकर धोनी के राष्ट्रीय स्तर पर सहयोगी बने। यूवी के ३५८ रनों के सामने धोनी का स्कोर छोटा पड़ गया। पूरे टूर्नामेंट में धोनी ने ९ मैचों में १२ पारियों में कुल ५ अर्द्धशतक ए१७ कैच और ७ स्टम्पिंग भी किये। उन्होंने 1999 .2000 सीज़न के दौरान बिहार क्रिकेट टीम के लिए रणजी ट्रॉफी की शुरुआत की और दूसरी पारी में नाबाद 68 रन बनाये। उन्होंने अगले सीजन में बंगाल के खिलाफ एक खेल के दौरान अपनी पहली प्रथम श्रेणी की शताब्दी बनाईए लेकिन उनकी टीम ने खेल खो दिया।

इसके बाद सी के नायडू ट्रॉफी के लिए खेले गए ईस्ट जॉन अंडर-19 मुकाबले में हिस्सा लिया लेकिन वे चार मैचों में केवल 97रन ही बना पाए थे जिसके कारण ईस्ट जॉन ने चारों मैचों में हार का सामना करके टूर्नामेंट में अंतिम स्थान प्राप्त किया।

बिहार टीम

धोनी जब १८ साल के थे तब 1999/2000 में इन्होंने बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी से अपने कैरियर की शुरुआत की थी। वह अपनी पहली मैच में असम टीम के खिलाफ दूसरी पारी में 68 रनों की लाजवाब पारी खेली थी।धोनी ने 5 मैचों में 283 रनों के साथ वो सीजन खत्म किया था। बाद में धोनी ने 2000/01 के सीजन में बंगाल के खिलाफ अपना पहला प्रथम श्रेणी शतक लगाया। इसके आलावा 2000/01 सीज़न में धोनी किसी भी मैच में अर्द्धशतक नहीं बना पाये थे।

इसके बाद 2002/03 के सीज़न में धोनी ने चार रणजी मैच में पांच अर्धशतक बनाए और देवधर ट्रॉफी के अर्न्तगत दो अर्धशतक बनाए, तत्पश्चात उन्हें निचले क्रम के योगदान में अच्छी छवि बनने लगी।

2003/04 के सीज़न में असम के खिलाफ रणजी ट्रॉफी के पहला एक दिवसीय ट्रॉफी में धोनी ने नाबाद 128 रन बनाए। वे ईस्ट ज़ोन के अर्न्तगत खेले और उस साल की देवधर ट्रॉफी में उन्होंने चार मैचों में कुल 244 रन बनाए। दिलीप ट्रॉफी के फाइनल मैच में धोनी को क्रिकेटर दीप दास गुप्ता के जगह ईस्ट जॉन का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया और उन्होंने उस मैच के दूसरी पारी में में एक आक्रामक अर्द्धशतक लगाया था।

भारतीय टीम

2003/04 के सीज़न में उनके कड़े प्रयास के कारण धोनी को पहचान मिलीए खास कर वनडे मैच में उन्हें जिम्बाब्वे व केन्या के लिए भारत ए टीम में चुने गए। हरारे स्पोर्ट्स क्लब में जिम्बाब्वे इलेवन के खिलाफ धोनी ने ७ कैच और ४ स्टमपिंग किये और अपने विकेट.कीपर होने का हुनर दिखाया। त्रिकोणीय टूर्नामेंट के अर्न्तगत केन्याए भारत ए और पाकिस्तान ए ने भाग लिया जिसमें धोनी ने पाकिस्तान के 223 रनों का पीछा कर उस मैच में अर्धशतक बनाया और भारत को जीत प्राप्त करने में सहायता की। अपने प्रदर्शन को और मज़बूत करते हुए इन्होंने इसी टूर्नामेंट में 120 व 119 रन बना कर दो शतक पूरे किए। धोनी ने कुल 7 मैचों में 362 रन बनाए जिसमें उनका औसत 72-40 रहा और इस श्रृंखला में दूसरों के बीच उसके प्रदर्शन पर उस समय के कप्तान सौरव गांगुली का ध्यान गया। तथापिए भारत श्एश् टीम के कोच संदीप मधुसूदन पाटिल ने विकेट.कीपर और बल्लेबाजख्7, के रूप में भारतीय क्रिकेट टीम में जगह के लिए धोनी की सिफारिश की।

एक दिवसीय कैरियर

2004/05 में भारतीय क्रिकेट टीम ने बांग्लादेश का दौरा किया उस दौरे पर राहुल द्रविड़ को विकेटकीपर में रखा गया ताकि बल्लेबाजी में कोई कमी न आए। भारतीय क्रिकेट में उस समय पार्थिव पटेल व दिनेश कार्तिक जैसे प्रतिभाशाली विकेटकीपर और बल्लेबाज थे जो कि जूनियरों की श्रेणी में आते थे। यह दोनों ही टेस्ट अंडर 19 कप्तान रह चुके थे। हालांकि धोनी ने तब तक अपनी पहचान भारत ए टीम में बना ली थी या कारण उन्हें 2004/05 में बांग्लादेश दौरे के लिए वनडे टीम में चुन लिया था।

धोनी की एक दिवसीय कैरियर कई शुरुआत कुछ ख़ास नहीं रही और अपने पहले ही मैच में बिना खाता खोले रन आउट हो गए थे। बांग्लादेश के खिलाफ उनका प्रदर्शन अच्छा न होने के बावजूद भी वे पाकिस्तान के खिलाफ वनडे टीम के लिए चुने गए थे। उस श्रृंखला के दुसरे मैच में जो कि धोनी का पाँचवा वनडे मैच था और वह मैच विशाखापत्तनम में खेला गया था में धोनी ने 123 गेंदों पर शानदार 148 रनों की पारी खेली थी। 148 रन बनाकर धोनी ने विकेटकीपर होते हुए एक मैच में सर्वाधिक रन बनाए।

श्रीलंका क्रिकेट टीम के खिलाफ द्विपक्षीय एकदिवसीय श्रृंखला ;अक्टूबर.नवम्बर 2005 में धोनी को पहले दो मैचों में बल्लेबाजी के कुछ ही अवसर मिले और सवाई मानसिंह स्टेडियम ;जयपुरद्ध में हुए तीसरे एकदिवसीय मैच में तीसरे नम्बर पर उतरने के लिए प्रोत्साहित किया गया था और इस वन डे मैच में महेन्द्र सिंह धोनी ने भारत के लिऐ तिसरे नम्बर पर बल्लेबाजी करते हुऐ 183* रनों की एक शानदार मैैच जिताऊ पारी खेेेली थी||

2007 विश्व कप

2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के ग्रुप स्टेज मैच के दौरान धोनी दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बल्लेबाजी करते हुए।

2007 क्रिकेट विश्व कप मैच पहली बार वेस्ट इंडीज मे होने जा रहा था। 2007 क्रिकेट विश्व कप मैच मे राहुल द्रविड को कप्तान के रूप मे चुना गया था और राहुल द्रविड़ के नेतृत्व मे भारतीय क्रिकेट टीम क्रिकेट के मैदान मे उतरी थी। इस मैच में विश्व की 16 टीमों ने हिस्सा लिया था और इन 16 टीमों को ४ समूहों में विभाजित किया गया था। हर एक टीम बाकी की ३ टीमों के साथ मैच खेलने वाला था। भारत के समूह में श्रीलंकाए बांग्लादेश और बर्म्युडा यह देश थे। 2007 क्रिकेट विश्व कप ग्रुप स्टेज में बांग्लादेश और श्रीलंका के नुकसान के बाद भारत विश्व कप से अप्रत्याशित रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो गया। धोनी इन दोनों मैचों में एक वक्त के लिए बाहर था और टूर्नामेंट में केवल 29 रन बनाए। 2007 विश्व कप में बांग्लादेश के नुकसान के बाद, वह घर जो धोनी अपने घर-शहर रांची में निर्माण कर रहा था वह जेएमएम के राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा बर्बाद और क्षतिग्रस्त हो गया था। स्थानीय पुलिस ने अपने परिवार के लिए सुरक्षा की व्यवस्था की क्योंकि भारत पहले दौर में विश्व कप से बाहर निकला था।

धोनी ने बांग्लादेश के खिलाफ 91 * रन बनाकर विश्वकप में अपने निराशाजनक प्रदर्शन किए, भारत को रन-चेस में पहले कड़े स्थान पर छोड़ दिया गया था। धोनी ने अपने प्रदर्शन, वनडे क्रिकेट में अपने चौथे के लिए मैन ऑफ द मैच घोषित किया गया। श्रृंखला के तीसरे गेम को धोने के बाद में उन्हें मैन ऑफ द सीरीज़ भी चुना गया। धोनी के पास एक अच्छा एफ्रो-एशिया कप था, जिसने 39 मैचों में 87 रनों की औसत से 174 रन बनाये, जिसमें तीसरे एक दिवसीय मैच में मैन ऑफ द मैच पारी में 97 गेंदों में नाबाद 139 रन बनाये।

2011 विश्व कप

2011 क्रिकेट विश्व कप में भारत ने बांग्लादेश को हराकर टूर्नामेंट की अच्छी शुरुआत की थी। धोनी ने ग्रुप स्टेज में नीदरलैंड, आयरलैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ जीत हासिल की। जबकि वे दक्षिण अफ्रीका से हार गए और इंग्लैंड से मैच ड्रा रहा था । भारत ने सेमीफाइनल में पाकिस्तान को हराया था। फाइनल मैच में भारत ने श्रीलंका को हरा कर वर्ल्ड कप अपने नाम किया था मुंबई में श्रीलंका के साथ अंतिम संघर्ष में धोनी ने भारत को कप उठाने में मदद के लिए 91 * का दस्तक दिया। उन्हें मैन ऑफ द मैच पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

कप्तानी छोड़ना और टी 20 आई टीम से बाहर

जनवरी 2017 में सीमित ओवरों में धोनी भारत के कप्तान के रूप में नीचे उतरे, इंग्लैंड के खिलाफ घर पर ओडीआई श्रृंखला से ठीक पहले। श्रृंखला के दूसरे गेम में, उन्होंने 122 गेंदों पर 134 रन बनाए, जिसमें युवराज सिंह के साथ चौथे विकेट के लिए 256 रन की साझेदारी शामिल थी। शतक, ओडीआई में उनका दसवां, तीन साल से पहले उनका पहला था।

8 फरवरी 2018 को, धोनी ओडीआई क्रिकेट में 400 शिकार को प्रभावित करने वाले पहले भारतीय विकेटकीपर बने, उन्होंने एडेन मार्क्राम के स्टंपिंग के बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे एकदिवसीय मैच के दौरान इस उपलब्धि को हासिल किया।

2018 एशिया कप में धोनी के खराब बल्लेबाजी प्रदर्शन के बादए उन्हें वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 3 ट्वेन्टी.20 अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए भारत टी 20 आई टीम से बाहर कर दिया गया। दोनों सीरीज के लिए बतौर विकेट कीपर ऋषभ पंत चुने गए।

टेस्ट करियर

स्टंप के पीछे धोनी

श्रीलंका के खिलाफ अपने अच्छे एक दिवसीय प्रदर्शन के बाद, धोनी ने दिसंबर 2005 में दिनेश कार्तिक को भारतीय टीमों के टेस्ट विकेट-कीपर के रूप में बदल दिया। धोनी ने अपने पहले मैच में 30 रन बनाए, जो बारिश से मारा गया था। धोनी क्रीज पर पहुंचे जब टीम 109/5 पर संघर्ष कर रही थी और विकेट उसके चारों ओर गिरते रहे, उन्होंने एक आक्रामक पारी खेली जिसमें वह आखिरी व्यक्ति को बर्खास्त कर दिया गया। धोनी ने दूसरे टेस्ट में अपना पहला अर्धशतक बनाया और उनकी तेज स्कोरिंग दर (अर्धशतक 51 गेंदों से बाहर हो गया) ने भारत को 436 का लक्ष्य निर्धारित करने में मदद की और श्रीलंकाई को 247 रनों पर आउट किया गया।

भारत ने जनवरी-फरवरी 2006 में पाकिस्तान का दौरा किया और धोनी ने फैसलाबाद में दूसरे टेस्ट में अपना पहला शतक बनाया। भारत एक कड़े स्थान पर था जब धोनी ने इरफान पठान के साथ जहाज को स्थिर करने की कोशिश की, टीम को अभी भी 107 रनों की जरूरत है ताकि फॉलो-ऑन से बच सके। धोनी ने अपनी स्वाभाविक रूप से आक्रामक शैली में खेला क्योंकि उन्होंने केवल 34 गेंदों में पहले पचास रन बनाने के बाद सिर्फ 93 गेंदों में अपना पहला टेस्ट शतक बनाया।

20-20 I

करियर

धोनी भारत के पहले 20-20अंतरराष्ट्रीय मैच का हिस्सा थे। उन्होंने दिसंबर 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शुरुआत की। उस मैच में धोनी ने एक रन आउट और विकेट के पीछे एक कैच पकड़ा पर उस मैच में वह एक भी रन नहीं बना सके और लेगबेक्ट का शिकार बने पर भारत वो मैच 6 विकेट से जीत गया था।

18 फरवरी 2018 को, धोनी ने रीज़ा हेन्ड्रिक्स का कैच पकड़ने के बाद पहले टी 20 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 275 टी 20 में 134 कैच लेने का नया विश्व रिकॉर्ड बनाया; यह रिकॉर्ड पहले कुमार संगकारा के नाम था।

2007 ICC World T-20

2007 में पहली बार World T-20 में भारत का नेतृत्व करने के लिए धोनी को चुना गया था। उन्होंने स्कॉटलैंड के खिलाफ अपनी कप्तानी की शुरुआत की लेकिन मैच धुल गया। इसके बाद, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में आईसीसी विश्व ट्वेंटी 20 वर्ल्ड कप मे भारत का नेतृत्व किया, जिसमें 24 सितंबर 2007 को भारत ने तीव्र रूप से लड़ाकू फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ जीत हासिल की और कपिल देव के बाद दूसरे भारतीय कप्तान बने, जिन्होंने किसी भी रूप में विश्वकप क्रिकेट जीता।

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