विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने थामा कांग्रेस का हाथ
पदक चूकने पर संन्यास, भारत आने पर कांग्रेस नेताओं से मुलाकात, ऐसे खिलाड़ी से नेता बनीं विनेश
एक महीने में कैसे पलट गई विनेश की जिंदगी? अखाड़े से निकलकर राजनीति में एंट्री
दिल्ली में पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं। पार्टी में शामिल होने से पहले दोनों ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से उनके आवास पर मुलाकात की। पार्टी में शामिल होने से पहले विनेश ने रेलवे के पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बीच पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया की राजनीति में एंट्री हो चुकी है। दिल्ली में शुक्रवार को दोनों कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। इससे
पहले दोनों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से उनके आवास पर मुलाकात की। भाजपा में शामिल होने के बाद विनेश फोगाट ने कहा कि उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश रहेगी। कांग्रेस ने हमारे आंसुओं को समझा। बुरे टाइम में पता चलता है कि आपका कौन है। ये देश के लोगों की सेवा का मौका है। नई पारी की शुरूआत मेरे लिए गर्व की बात है।
हरियाणा में इस वक्त चुनावी हलचल तेज हो गई हैं। यहां 5 अक्तूबर को मतदान होगा। नतीजे जम्मू कश्मीर के साथ 8 अक्तूबर को आएंगे। चुनाव की तारीखों के एलान के बाद सभी दल चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। पार्टियां प्रत्याशी तय करने के लिए लगातार बैठकें कर रही हैं। पिछले दिनों भाजपा ने 67 उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी। अब एक बड़े घटनाक्रम में पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद ही उन्होंने खेल से संन्यास की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही उनके और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के राजनीतिक दंगल में उतरने की अटकलें शुरू हो गई थीं।
पिछले एक महीने में उनके जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। पहले वह ओलंपिक के फाइनल में पहुंची, लेकिन उन्हें कैटेगरी से अधिक बढ़े वजन के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी। अब वह राजनीति में दांव लगाएंगी।
पूर्व भारतीय पहलवान विनेश फोगाट की अब राजनीति में एंट्री हो गई है। उन्होंने पहलवान बजरंग पूनिया के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया है। शुक्रवार को दोनों 2:30 बजे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे। इससे पहले दोनों ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। दोनों के हरियाणा विधानसभा चुनाव में लड़ने की संभावना है।
विनेश फोगाट की राजनीति में एंट्री चौंकाने वाली है। ठीक एक महीने पहले वह कुश्ती के मैदान में दांव लगा रही थीं, आज छह सितंबर यानी को उनका राजनीति में डेब्यू हो रहा है। पिछले एक महीने में उनके जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहा है। पहले वह ओलंपिक के फाइनल में पहुंची, लेकिन उन्हें कैटेगरी से अधिक बढ़े वजन के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी। अब वह राजनीति में दांव लगाएंगी।
विनेश ने बड़े-बड़े टूर्नामेंट में देश का नाम रोशन किया। ओलंपिक पदक लाने से पहले उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों के अलावा एशियाई खेल, विश्व चैंपियनशिप और एशियाई चैंपियनशिप में तिरंगा लहराया है। 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के बलाली गांव में विनेश फोगाट का जन्म हुआ। विनेश का जन्म भारत के सबसे प्रसिद्ध कुश्ती परिवार में हुआ। विनेश के ताऊ महावीर सिंह ने फोगाट बहनों को बहुत कम उम्र से ही इस खेल से परिचय करा दिया था। विनेश भी अपनी चचेरी बहनों गीता फोगाट और बबीता कुमारी के नक्शेकदम पर चल पड़ीं। महज नौ साल की उम्र में विनेश के पिता का अचानक निधन हो गया था। विनेश के ताऊ जी ने अपनी बेटियों विनेश को भी कुश्ती सिखानी शुरू की। लड़कियों को पहलवानी सिखाने पर फोगाट परिवार को समाज में ताने दिए जाते थे, लेकिन किसी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में विनेश फोगाट ने अपना पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता। उन्होंने स्वर्ण जीता तो ओलंपिक खेलों में कदम रखने के लिए आत्मविश्वास बढ़ा। फिर 2016 रियो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली। हालांकि, उस दौरान वह पदक जीतने से चूक गईं, लेकिन इसके बाद उन्होंने 2018 में राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण हासिल किया
नूर सुल्तान में पहला विश्व चैंपियनशिप पदक हासिल किया और इससे पहले एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर सभी को हैरान कर दिया। 2021 एशियाई चैंपियनशिप में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक का हिस्सा बनीं। साथ ही राष्ट्रमंडल खेल 2022 में लगातार तीसरी बार स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। विनेश फोगाट तीन राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं।
पिछले साल खेल प्रणाली के खिलाफ किया था आंदोलन
पिछले साल यानी 2023 में 18 जनवरी को जब विनेश समेत भारत के कुछ दिग्गज पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे तो पूरा देश हिल गया। महिला खिलाड़ियों ने तब कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। मामला बढ़ा तो बृजभूषण को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। भारतीय कुश्ती संघ में चुनाव का एलान हुआ और बृजभूषण के करीबी संजय सिंह 21 दिसंबर को अध्यक्ष चुने गए। संजय सिंह के अध्यक्ष बनते ही विनेश की साथी पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का एलान कर दिया। उनके बाद बजरंग पूनिया ने पद्मश्री लौटा दिया और पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह (गूंगा पहलवान) ने भी पद्मश्री लौटाने की बात की। इसके बाद खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया। तदर्थ समिति बनाई गई तो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया। हालांकि, संजय सिंह को पहलवान अध्यक्ष मानने को तैयार हुए और आईओसी ने निलंबन हटा लिया। हालांकि, बृजभूषण पर आरोप तय होने के बाद सजा नहीं मिली तो विनेश ने भी खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाने का एलान कर दिया।
चयन ट्रायल को लेकर भी हुआ था बवाल
इसके बाद ओलंपिक चयन ट्रायल को लेकर भी खूब बवाल हुआ। किन्हें दिया जाएगा। अंतिम पंघाल भारत का उभरता सितारा साबित हुईं। ऐसे में विनेश को अपना मूल भारवर्ग 53 किलोग्राम छोड़ना पड़ा और वह भार घटाकर 50 किलोग्राम कैटेगरी में आ गईं। हालांकि, बवाल यहीं तक नहीं रुका। कौन सी एथलीट जाएगी और कौन नहीं, इसको लेकर कुश्ती संघ को फैसला करना था और उन्होंने ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले एथलीट्स के लिए दो चयन ट्रायल रखवाए। हालांकि, बाद में कुश्ती संघ ने चयन ट्रायल रद्द कर दिया और इस तरह विनेश ही ओलंपिक में उतरीं। हालांकि, आंदोलन में शामिल होने के कारण कहा गया कि उनकी तैयारी अच्छी नहीं है। विनेश हमेशा कहती रहीं कि उनका सपना भारत को ओलंपिक पदक दिलाना रहा है।
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