दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट से शुरू होगी. जबकि, इस तिथि की समाप्ति 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा. इस दिन प्रदोष काल 31 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 52 मिनट तक रहेगा.
दिवाली 2024 चौघड़िया मुहूर्त
दिवाली के दिन अमृत का चौघड़िया शाम 5 बजकर 27 मिनट से लेकर 7 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. इसके बाद चर चौघड़िया का मुहूर्त 7 बजकर 3 मिनट से रात 8 बजकर 40 मिनट तक रहेगा.
दिवाली 2024 महानिशिथ काल मुहूर्त
दिवाली के दिन महानिशिथ काल रात 11 बजकर 15 मिनट से लेकर मध्य रात्रि 12 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. इस दौरान अमावस्या और महानिशिथ काल का पूर्ण संयोग रहेगा. दिवाली में महानिशिथ काल का खास महत्व है.
दिवाली 2024 पूजन साम्रगी
- दिवाली के दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है। उनके पूजन के लिए सबसे पहले आप पूजा स्थान को साफ़ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
- चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति स्थापित करें। यदि संभव हो तो नई मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें और गणेश जी के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की भी स्थापना करनी चाहिए।
- पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें और चौकी पर भी थोड़ा गंगाजल डालें। हाथ में लाल या पीले फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र - ऊँ गं गणपतये नम:का जाप करें।
- सर्वप्रथम आपको गणेश जी के मंत्रों का जाप और पूजन करना चाहिए।
- भगवान गणपति का पूजन 'गजाननम् भूत भू गणादि सेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपाद पंकजम्। इस मंत्र का जाप करें।
- गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें मुख्य रूप से दूर्वा तथा मोदक अर्पित करें।
- माता लक्ष्मी का पूजन (वास्तु के अनुसार करें दिवाली की पूजा) भी भगवान गणपति के साथ करें उसके लिए माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और मां लक्ष्मी के श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें। इनके साथ आप धन कुबेर और मां सरस्वती का पूजन करें।
- लक्ष्मी और गणेश जी का विधि विधान से पूजन करने के बाद मां काली का पूजन भी रात्रि में किया जाता है।
- पूजन के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें और भोग अर्पित करें।
- आरती के आबाद भोग परिवार जनों में वितरित करें।
- लक्ष्मी और गणेश जी के पूजन के बाद दीये प्रज्वलित करें। सबसे पहले आप लक्ष्मी जी के सामने 5 या 7 घी के दीये प्रज्वलित करें।
दिवाली का पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन होता है और इस दिन धन की देवी को प्रसन्न करने से समृद्धि का आशीष मिलता है। जो लोग माता लक्ष्मी की इस दिन पूजा करते हैं उनकी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ति होती है और उनके जीवन से कभी भी धन और ऐश्वर्य कम नहीं होता है।
गणपति को प्रथम पूजनीय होने का वरदान प्राप्त है और उन्हें बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है, ऐसी मान्यता है कि हिंदुओं में किसी भी पूजन को सम्पूर्ण तभी माना जाता है जब गणपति का पूजन सबसे पहले होता है। दिवाली के दिन गणपति के पूजन से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है और बुद्धि के देवता अपने भक्तों को सद्बुद्धि का वरदान देते हैं।
लोग इस दिन माता लक्ष्मी जी के साथ गणपति की पूजा इसलिए करते हैं जिससे वो अपने धन का इस्तेमाल सही जगह और सामर्थ्य अनुसार कर पाएं। लोग इसी प्रार्थना के साथ दीपावली पर गणपति की पूजा करते हैं कि उन्हें सद्बुद्धि का आशीष मिले।
यदि आप दिवाली के दिन साफ़ और स्वच्छ मन मस्तिष्क से पूजन करेंगी तो आपके जीवन में हमेशा खुशहाली बनी रहेगी। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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