अगर हैं आप किराएदार? तो जानिए अपने अधिकार

अगर हैं आप किराएदार? तो जानिए अपने अधिकार

अगर हैं आप किराएदार? तो जानिए अपने अधिकार

असल में दूसरे शहर या गांव से आने वाले लोग किराएदार के तौर पर किसी के घर पर पैसे दे कर रहते हैं। इसमें मकान मालिक के साथ अच्छे संबंध भी बन जाते हैं, कई बार किसी बात को लेकर दोनों पक्ष में मतभेद भी हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि अगर आप किराएदार हैं तो आप अपने सारे अधिकार से जागरूक रहें। कानून की मदद लेने से लेकर आपके साथ होने वाले उल्लंघन के लिए अपने हक में आवाज भी उठा सकते हैं।

किराएदार के कई अधिकार  हैं, इनमें ये शामिल हैं:

इन सुविधाओं में बिजली, पानी, गैस, और पार्किंग की जगह शामिल हो सकती है। सुरक्षा का अधिकार: किराएदार को संपत्ति पर सुरक्षा का अधिकारहै। यह सुरक्षा आग, चोरी, और अन्य आपात स्थितियों से सुरक्षा प्रदान करना चाहिए। निजी जीवन का अधिकार: किराएदार को अपनी निजी जिंदगी का अधिकार है।
किरायेदारों के कुछ अधिकार ये हैं:
किरायेदार को बिना किसी वैध वजह के बेदखल नहीं किया जा सकता. 

किरायेदार को ज़रूरी रखरखाव सेवाएं मिलनी चाहिए. 

किरायेदार को अपने घर में निजता का अधिकार है. 

किरायेदार को किराए समझौते के नवीनीकरण को अस्वीकार करने का अधिकार है.

किरायेदार को रसीद मिलनी चाहिए. 

किरायेदार को नोटिस अवधि मिलनी चाहिए. 

किरायेदार को दी गई सुरक्षा जमा राशि का अधिकार है. 

किरायेदार के कानूनी उत्तराधिकारी भी किरायेदार के अधिकारों के हकदार होते हैं. 

किरायेदार को बिजली, पानी, गैस, और पार्किंग की सुविधा मिलनी चाहिए. 
किरायेदार को संपत्ति पर सुरक्षा मिलनी चाहिए. 

किरायेदार को जमानत राशि के तौर पर दो महीने से ज़्यादा किराया नहीं देना होता. 

किरायेदार को मकान छोड़ने के एक महीने के अंदर जमानत राशि वापस मिलनी चाहिए. 

किराया बढ़ाने से पहले मकान मालिक को किरायेदार को कम से कम तीन महीने पहले नोटिस देना होता है. 
किरायेदारों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कई कानून हैं। इन कानूनों में मकान मालिक और किरायेदार अधिनियम (1988) और किरायेदार के अधिकार अधिनियम (1974) शामिल हैं।

किराएदार के अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है तो कैसे लें कानूनी मदद?

अगर आपका मानना है कि बतौर किराएदार आपके अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है, तो आपको सबसे पहले मकान मालिक से बात करने का प्रयास करना चाहिए। अगर मकान मालिक आपके अधिकारों का उल्लंघन करना बंद नहीं करता है, तो आपको कानूनी मदद लेने पर विचार करना चाहिए।

कानूनी मदद लेने के कई तरीके हैं। आप एक वकील से सलाह ले सकते हैं, किसी किरायेदार यूनियन से संपर्क कर सकते हैं, या एक निःशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करने वाली एजेंसी की तलाश कर सकते हैं।

एक वकील से सलाह लेने से आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि आपके अधिकारों का उल्लंघन कैसे किया जा रहा है और आप क्या कर सकते हैं। एक किरायेदार यूनियन आपके अधिकारों की रक्षा में आपकी मदद कर सकता है और कानूनी सहायता प्रदान कर सकता है। एक निःशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करने वाली एजेंसी आपको कानूनी सहायता प्रदान कर सकती है अगर आपके पास एक वकील को नियुक्त करने के लिए पैसे नहीं है।

अगर आप कानूनी मदद लेने का निर्णय लेते हैं, तो आपको कुछ दस्तावेज तैयार करने होंगे, जैसे कि एक पत्र जिसमें आप मकान मालिक को अपने अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए सूचित करते हैं और एक समझौता अगर आप मकान मालिक के साथ बातचीत करना चाहते हैं।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि किरायेदारों के अधिकार कानून द्वारा संरक्षित हैं। यदि आपका मानना है कि आपके अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है, तो आपको कानूनी मदद लेने से डरना नहीं चाहिए।

क्या है किरायेदार के हित में कानूनी नियम?

भारत में सर्वोच्च न्यायालय के मुताबिक, मकान मालिक से बेदखली का नोटिस यानी Eviction notice लिए बिना किरायेदार को नहीं निकाल सकते हैं। यानी इसमें किसी किरायेदार को खबर किए बिना नहीं निकाला जा सकता है। इसकी एक नियत अवधि होनी चाहिए। इसमें किसी भी मकान मालिक के जरिए से 1872 का भारतीय अनुबंध अधिनियम में किरायेदारों को नोटिस के बिना मनमानी या अनुचित बेदखली से बचाता है। इसमें उचित किराये के अधिकार, अगर मकान मालिक मकान किराये पर देते समय असाधारण मात्रा में किराया वसूलता है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।

निजता का अधिकार, इसमें किराएदार को अपनी रहने वाली संपत्ति में निजता का अधिकार देता है। किसी भी किरायेदार के मकान में मकान मालिक बिना किराएदार के इजाजत के दखल नहीं दे सकता है। इसमें बिना किसी बाधा के जीने का अधिकार भी लागू होता है। 

मुआवजा का अधिकार, मकान मालिकों को सूचना का अधिकार और किराया नियंत्रण अधिनियम 1948 के तहत कई अधिकार उपलब्ध हैं। इसमें मरम्मत का भी अधिकार मिलता है।

किरायेदारों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए और यदि उन्हें लगता है कि उनके अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है तो कानूनी मदद लेनी चाहिए।

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