परमाणु युद्ध हो या ना हो लेकिन ये लोग कर रहे हैं बचाव की कर रहे पूरी तैयारी, जानिए कौन हैं और कैसी तैयारी

परमाणु युद्ध हो या ना हो लेकिन ये लोग कर रहे हैं बचाव की कर रहे पूरी तैयारी, जानिए कौन हैं और कैसी तैयारी

परमाणु युद्ध हो या ना हो लेकिन ये लोग कर रहे हैं बचाव की कर रहे पूरी तैयारी, जानिए कौन हैं और कैसी तैयारी 

देश की राजधानी में बिक रहे हैं न्यूक्लियर बंकर तीन साल तक सेफ रखने का दावा करोड़ों देकर बुक करा रहे लोग 

दुनिया के कई कोनों पर जंग छिड़ी हुई है. इससे दिल्ली भी बेअसर नहीं. इतना कि हमारे यहां भी न्यूक्लियर बंकर बनने लगे. आप चाहें बने-बनाए अंडरग्राउंड कंटेन खरीदें या लग्जरी शेल्टर कस्टमाइज कराएं. कितने लोग, कितने दिन रहेंगे, सिर्फ ब्लास्ट से बचना है या केमिकल वेपन से भी, हर डिमांड के साथ कीमत बढ़ जाएगी. दिल्ली में बहुमंजिला इमारतों के नीचे बन रहे इन्हीं ‘पाताल लोक’ को खंगालने के लिए सेना के अधिकारियों से लेकर पुलिस और डिफेंस से जुड़े सप्लायर-डिस्ट्रीब्यूटर्स से भी बात की. इस दौरान जो पता चला वो हैरान करने के लिए काफी था.

दिल्ली में न्यूक्लियर बंकर बन रहे हैंए जिन्हे पाताल लोक कहा जा रहा है इन बंकरों में तीन साल तक रहने का दावा किया जा रहा है. इन बंकरों को खरीदने या कस्टमाइज़ कराने के लिए लोग करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं. 
दिल्ली में बन रहे ये बंकर, ब्लास्ट और केमिकल वेपन से सुरक्षा प्रदान करते हैं. इन बंकरों में रहने की डिमांड बढ़ने के साथ-साथ इनकी कीमतें भी बढ़ रही हैं. 
दिल्ली में एक और जगह है जिसे 'पाताल लोक' कहा जाता है, वह है अग्रसेन की बावली. यह बावली मध्यकालीन भारत की वास्तुकला और इंजीनियरिंग का एक शानदार उदाहरण है. इसे गर्मी से राहत दिलाने के लिए बनाया गया था. इस बावली की लंबाई 60 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है. यहां पहुंचने के लिए 106 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. 

दिल्ली-एनसीआर में कई ऐसी कंपनियां हैं, जो अंडरग्राउंड CBRN बेच रही हैं- यानी केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर बंकर. दिल्ली में रियल एस्टेट के ऐसे प्रोजेक्ट भी आ चुके, जहां इमारतों के नीचे बंकर बन रहे हैं. कीमत? सवा से लेकर दसियों करोड़ तक! लेकिन जब दुनिया खत्म हो जाए तब भी आप तय दिनों तक सेफ रह सकेंगे, इसकी गारंटी.

बेहद खुफिया ढंग से काम करते ये सेटअप और कई छुटपुट वादे करता है. जैसे यहां सेफ रूम भी मिल जाएगा.

‘ये वो कमरा है, जो लोगों को चोर-डकैतों या भीड़ के हमले से बचा सकता है. एक्टरों और नेताओं के बीच इस तरह के कमरों की डिमांड ज्यादा है.’ मेरा सोर्स बताता है. लेकिन नहीं. सेफ रूम नहीं, हमें न्यूक्लियर बंकर तक पहुंचना है. वो कैसे, कहां और कितनी कीमत पर मिल सकेगा? इसका जवाब तलाशने की कोशिश में एक खास कंपनी की जानकारी मिली. सोर्स कहता है- ‘कोशिश करके देख लीजिए. काफी सीक्रेटिव है.’

हुआ भी वही. कंपनी अड़ी रहती है. ‘हम प्राइवेट हैं. एक्सक्लूजिव क्लाइंट्स के लिए काम करने वाले. उनकी सुरक्षा को देखते हुए हम कोई पब्लिसिटी नहीं चाहते.’

परमाणु युद्ध दिल्ली वाले कर रहे हैं पूरी तैयारी

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