लोक आस्था का महापर्व छठ, ज्योतिष से जानें पूजा सामग्री और उसकी महत्ता
नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ आस्था का महापर्व छठ
ज्योतिष के अनुसार, छठ पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री व्रती के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाती है. सूर्य देवता की पूजा में सूर्य और चंद्रमा के साथ ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है. यह पर्व आध्यात्मिक रूप से शांति प्रदान करने वाला और विशेष माना गया है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला छठ महापर्व सूर्य देवता और उनकी संतानों उषा व प्रत्यूषा की पूजा का पर्व है. चार दिवसीय इस पर्व में व्रती (पूजा करने वाले) सूर्यास्त और सूर्योदय के समय स्नान, व्रत और अर्घ्य अर्पण करते हैं. छठ की पूजा में उपयोग होने वाली सामग्रियों का अपना विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है, जो पूजा को पूर्णता प्रदान करता है.
सनातन धर्म में छठ पूजा केवल एक पर्व ही नहीं है। यह भक्तों की आस्था का महापर्व है। आज से इस महापर्व का आरंभ हो चुका है। इस दिन सुहागिन महिलाएं सूर्यदेव की आराधना करती हैं और अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कामना करती हैं। छठ पूजा पवित्रता का प्रतीक है। इस पर्व में शुद्धता बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपकी कोई मनोकामना है, तो छठ पर्व शुभ फलदायी मानी जाती है। वहीं छठ पूजा की शुरूआत नहाय-खाय से शुरू होती है और इसका समापन सूर्यदेव को सुबह अर्घ्य देने के बाद होता है।अब ऐसे में अगर आप छठ पूजा के लिए सामग्री के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए ही हैं। आइए इस लेख में हम आपको ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी द्वारा बताए सामग्री के बारे में जानते हैं।
पूजा सामग्री का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
पंडित रंजीत मिश्रा के अनुसार, छठ पूजा में प्रयुक्त सामग्री का चयन न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है. पूजा सामग्री में बांस की टोकरी, नारियल, केला, गन्ना, अनार, ठेकुआ, दूध, दीपक, हल्दी, नींबू, बेलपत्र और फूल शामिल होते हैं. बांस की टोकरी में सामग्री रखी जाती है, जबकि नारियल और गन्ने का विशेष महत्व है, जिन्हें ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
इसके अलावा, मिट्टी के बने बर्तन, खजुरिया और रसगुल्ले जैसे मिठाइयां भी अर्पित की जाती हैं. इन सभी सामग्रियों का हर व्रती अपनी सामर्थ्य के अनुसार अर्पण करता है. इस अवसर पर महिलाएं साड़ी, चूड़ियां और सिंदूर का श्रृंगार करती हैं, जबकि पुरुष धोती धारण करते हैं.
ज्योतिषीय दृष्टि से सामग्री का महत्व
ज्योतिष के अनुसार, छठ पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री व्रती के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाती है. सूर्य देवता की पूजा में सूर्य और चंद्रमा के साथ ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है. यह पर्व आध्यात्मिक रूप से शांति प्रदान करने वाला और विशेष माना गया है.
छठ पूजा के लिए किन-किन सामग्री की आवश्यकता होती है। इसके लिए सामग्री की पूरी लिस्ट एक बार जरूर पढ़ लें।
- नई साड़ी
- बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां
- एक कलश (तांबा, सोना)
- पीतल की थाली
- बांस से बनी सूप
- 5 या 11 गन्ने
- शकरकंदी
- पान और सुपारी
- हल्दी
- मूली और अदरक
- मीठा डाभ नींबू
- शरीफा
- केला
- नाशपाती
- सिंघाड़ा
- पानी वाला नारियल
- मिठाई
- गुड़
- गेहूं
- चावल का आटा
- ठेकुआ
- चावल
- सिंदूर
- कलावा
- दीपक
- शहद
- धूप
- कुमकुम
- सुथनी
सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए सामग्री
छठ पूजा के पहले दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।
- इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल की टोकरी या आप बांस से बने सूप का उपयोग कर सकते हैं।
- इसके अलावा आप तांबे, पीतल या सोने के कलश से सूर्यदेव को शाम के समय अर्घ्य दे सकते हैं।
छठी माता को चढ़ाने के लिए सामग्री
सूर्यदेव की पूजा करने से पहले छठी माता की पूजा-अर्चना की जाती है।
- छठी माता का पूजा करने के दौरान उन्हें सिंदूर, अक्षत, चना, गुड़, मिठाई, सात प्रकार के फल, सुहाग का सामान, घी का बना ठेकुआ आदि अर्पित करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
- बांस की टोकरी में भगवान सूर्य देव को अर्पित करने के लिए भोग रखते हैं। जिनमें ठेकुआ, मखाना, अक्षत, भुसवा, सुपारी, अंकुरी, गन्ना, बड़ा निंबू आदि चीजें होती हैं।
- टोकरी में 5 प्रकार के फल (शरीफा, नारियल, केला, नाशपाती और डाभ) और 5 प्रकार की मिठाई रखी जाती है।
पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक
छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति और पर्यावरण के प्रति श्रद्धा का भी प्रतीक है, क्योंकि इसमें प्राकृतिक और जैविक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है.
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