CAA,जानें कि भारत के नागरिकों के पास संविधान के तहत कौन-कौन से दस्तावेज होना जरूरी.....
- हर भारतीय के पास कुछ दस्तावेज होने जरूरी हैं, जो ये जाहिर करें कि वो देश का नागरिक है
- वैसे ये करीब 09 दस्तावेज होते हैं, जिसमें से कुछ हमेशा भारत में पैदा हुए लोगों के पास होते ही हैं
- इसमें राशन कार्ड से लेकर पासपोर्ट जैसे दस्तावेज शामिल हैं, जो हमें जरूर अपने पास रखने चाहिए
देश में सिटीजनशिप एमेंडमेंट एक्ट (Citizenship Amendment Act) 2019 लागू हो चुका है. सरकार इसके लिए अधिसूचना जारी कर चुकी है. वैसे तो भारत में पैदा हुए सभी लोग भारतीय नागरिक होते हैं. वो लोग भी भारतीय नागरिक हैं, जिनके पेरेंट्स भारत में ही पैदा हुए और यहां के वाशिंदे हैं. जिनका घर यहीं पर है. लेकिन हर भारतीय नागरिक के पास हमेशा कुछ ऐसे दस्तावेज भी होने चाहिए, जो मुकम्मल तौर पर जाहिर करें कि वो भारत के नागरिक हैं. ताकि आप हमेशा हर तरह कानूनी अड़चनों से भी बचे रहें.
आमतौर पर जो भी भारत में पैदा होता है या यहां का निवासी है तो उनके पास ये सारे ही दस्तावेज होंगे ही होंगे. आधार, पैन कार्ड और पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों की तो हमें आमतौर पर जरूरत पड़ती ही है. हम ये भी देखते हैं कि संविधान में नागरिकता को किस तरह पारिभाषित किया गया है.
संविधान में विभिन्न अनुच्छेदों के जरिए नागरिकता को पारिभाषित किया गया है. इन अनुच्छेदों में वक्त-वक्त पर संशोधन भी हुए हैं. संविधान का अनुच्छेद 5 से लेकर 11 तक नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसमें अनुच्छेद 5 से लेकर 10 तक नागरिकता की पात्रता के बारे में बताता है, वहीं अनुच्छेद 11 में नागरिकता के मसले पर संसद को कानून बनाने का अधिकार देता है.
नागरिकता को लेकर 1955 में सिटीजनशिप एक्ट पास हुआ. एक्ट में अब तक चार बार 1986, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन हो चुके हैं.
भारत के नागरिकों के पास निम्न 9 दस्तावेज होने चाहिए, जन्म प्रमाण पत्र से लेकर पासपोर्ट तक
क्या आपको मालूम है कि भारत के नागरिक के पास कौन से दस्तावेज होने चाहिए. हम आपको बताते हैं कि वो दस्तावेज कौन से होते हैं.
इसके अनुसार अगर ये दस्तावेज आपके पास होंगे तो आप इस सूची में शामिल हो सकते हैं.
1) जमीन के दस्तावेज जैसे- बैनामा, भूमि के मालिकाना हक का दस्तावेज.
2) राज्य जारी किया गया स्थायी निवास प्रमाणपत्र.
3) भारत सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट
4) किसी भी सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी लाइसेंस/प्रमाणपत्र जिसमें आधार, वोटरकार्ड, पैनकार्ड भी शामिल हैं.
5) सरकार या सरकारी उपक्रम के तहत सेवा या नियुक्ति को प्रमाणित करने वाला दस्तावेज.
6) बैंक/डाक घर में खाता.
7) सक्षम प्राधिकरण की ओर से जारी किया गया जन्म प्रमाणपत्र.
8) बोर्ड/विश्वविद्यालयों द्वारा जारी शिक्षण प्रमाणपत्र.
9) न्यायिक या राजस्व अदालत की सुनवाई से जुड़ा दस्तावेज.
इसमें कुछ सर्टिफिकेट और पहचान पत्र तो आपके पास होने बहुत जरूरी हैं, जो हर जगह ये साबित कर सकें कि आप इसी देश के नागरिक हैं.
भारत के राष्ट्रीय पोर्टल के अनुसार, एक भारतीय नागरिक ये लोग हैं
– 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के समय भारत में निवास
– भारत में 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद लेकिन 1 जुलाई 1987 से पहले जन्म हुआ हो
– उसके एक या दोनों पेरेंट्स भारत के हों, जिनका जन्म भारत में हुआ हो
– कम से कम पांच वर्षों से भारत के सामान्य निवासी रहे हों
कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं?
संविधान में भारतीय नागरिक को स्पष्ट तौर पर पारिभाषित किया गया है. संविधान का अनुच्छेद 5 कहता है कि अगर कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता है और उसके मां-बाप दोनों या दोनों में से कोई एक भारत में जन्मा हो तो वो भारत का नागरिक होगा. भारत में संविधान लागू होने के 5 साल पहले यानी 1945 के पहले से रह रहा हर व्यक्ति भारत का नागरिक माना जाएगा.
हालांकि जब असम में NRC प्रक्रिया को लागू किया तो उसमें ये माना गया कि वो शख्स NRC के तहत, भारत का नागरिक होने के योग्य है, जो साबित करते हैं कि या तो वे या उनके पूर्वज 24 मार्च 1971 को या उससे पहले भारत में थे. ये प्रक्रिया बांग्लादेशी प्रवासियों को बाहर करने के लिए शुरू की गई थी. बता दें कि 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ था.
अगर कोई भारत में नहीं भी जन्मा हो, लेकिन वो यहां रह रहा हो और उसके मां-बाप में से कोई एक भारत में पैदा हुए हो तो वो भारत का नागरिक माना जाएगा. अगर कोई व्यक्ति यहां पांच साल तक रह चुका हो तो वो भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है.
संविधान का अनुच्छेद 6
संविधान का अनुच्छेद 6 पाकिस्तान से भारत आए लोगों की नागरिकता को पारिभाषित करता है. इसके मुताबिक 19 जुलाई 1949 से पहले पाकिस्तान से भारत आए लोग भारत के नागरिक माने जाएंगे. इस तारीख के बाद पाकिस्तान से भारत आए लोगों को नागरिकता हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. दोनों परिस्थितियों में व्यक्ति के मां-बाप या दादा-दादी का भारतीय नागरिक होना जरूरी है.
संविधान का अनुच्छेद 7
संविधान का अनुच्छेद 7 पाकिस्तान जाकर वापस लौटने वाले लोगों के लिए है. इसके मुताबिक 1 मार्च 1947 के बाद अगर कोई व्यक्ति पाकिस्तान चला गया, लेकिन रिसेटेलमेंट परमिट के साथ तुरंत वापस लौट गया हो वो भी भारत की नागरिकता हासिल करने का पात्र है. ऐसे लोगों को 6 महीने तक यहां रहकर नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. ऐसे लोगों पर 19 जुलाई 1949 के बाद आए लोगों के लिए बने नियम लागू होंगे.
संविधान का अनुच्छेद 8
संविधान का अनुच्छेद 8 विदेशों में रह रहे भारतीयों की नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक विदेश में पैदा हुए बच्चे को भी भारतीय नागरिक माना जाएगा अगर उसके मां-बाप या दादा-दादी में से से कोई एक भारतीय नागरिक हो. ऐसे बच्चे को नागरिकता हासिल करने के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क कर पंजीकरण करवाना होगा.
संविधान का अनुच्छेद 9
संविधान का अनुच्छेद 9 भारत की एकल नागरिकता को लेकर है. इसके मुताबिक अगर कोई भारतीय नागरिक किसी और देश की नागरिकता ले लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाएगी.
संविधान का अनुच्छेद 10
संविधान का अनुच्छेद 10 नागरिकता को लेकर संसद को अधिकार देता है. इसके मुताबिक अनुच्छेद 5 से लेकर 9 तक के नियमों का पालन करने वाले भारतीय नागरिक होंगे. इसके अलावा केंद्र सरकार के पास नागरिकता को लेकर नियम बनाने का अधिकार होगा. सरकार नागरिकता को लेकर जो नियम बनाएगी उसके आधार पर किसी को नागरिकता दी जा सकेगी.
संविधान का अनुच्छेद 11
संविधान का अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता पर कानून बनाने का अधिकार देता है. इस अनुच्छेद के मुताबिक किसी को नागरिकता देना या उसकी नागरिकता खत्म करने संबंधी कानून बनाने का अधिकार भारत की संसद के पास है.
Post a Comment