संभल पाताल लोक से सीधा आता है पानी? बावड़ी का पाताल कनेक्शन! दबा था फर्श के नीचे
एक दिन पहले ही इस तीर्थ के बाबा ने कुएं में हथोड़ा मार कर इसके ऊपर की छत तोड़ी. अक्सर यहां के इलाके का पानी 80 फीट में बाहर आता है. लेकिन इसमें 12 फीट के बाद ही पानी आ गया.
संभल में मंदिरों के बाद अब बावड़ी के मिलने का सिलसिला हुआ जारी.दावा किया जा रहा है कि इस बावड़ी में पाताल लोक से सीधा पानी आता है.
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मंदिरों के साथ-साथ लगातार कुएं भी मिल रहे हैं. इसी कड़ी में एक और कुआं मिला है, जिसको लेकर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं. कुएं में 12 फीट पर ही पानी दिखने लगा है. मंदिर के बाल योगी दीनानाथ का दावा है कि इस कूप का पानी पाताल लोक से आया है और इस कूप के पानी को चमत्कारिक पानी बताया जा रहा है. संभल के 68 तीर्थ में से एक तीर्थ इसे भी माना जाता है. बाबा छेमनाथ का ये भव्य मंदिर है, जहां पर इस कूप की चर्चा शुरू हो गई है.
एक दिन पहले ही इस तीर्थ के बाबा ने कुएं में हथोड़ा मार कर इसके ऊपर की छत तोड़ी. अक्सर यहां के इलाके का पानी 80 फीट में बाहर आता है. लेकिन इसमें 12 फीट के बाद ही पानी आ गया. ये पहला कुंआ है जहां पर पानी नजर आया है, बाबा ने दावा किया कि उन्हें इस कुएं की जानकारी नहीं थी. लेकिन संभल तीर्थ नगरी है इसके बारे में प्रशासन को जानकारी दे दी गई है.
उत्तर प्रदेश के संभल में चंदौसी के लक्ष्मण गंज इलाके में खुदाई के दौरान लगभग 150 साल पुरानी और 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली बावड़ी मिली. चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि शनिवार को स्थल पर खुदाई शुरू हुई. संभल में 13 दिसंबर को लगभग 46 साल से बंद भस्म शंकर मंदिर के फिर से खुलने के बाद यह खुदाई की जा रही है. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान संरचना का पता चला. अधिकारियों ने कहा कि मंदिर की बावड़ी के अंदर दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां मिलीं.
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल के दौरान किया गया था. संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि इस स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने की संभावना पर विचार किया जा रहा है, और यदि आवश्यक हुआ तो एएसआई से अनुरोध किया जा सकता है. मीडिया से बात करते हुए पेंसिया ने कहा, “यह स्थल पहले तालाब के रूप में पंजीकृत था. बावड़ी की ऊपरी मंजिल ईंटों से बनी है, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर की है. उन्होंने कहा कि संरचना में चार कमरे और एक बावड़ी भी है.”
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