कड़ाके की ठंड में तपस्या करता है ये बालक, 9 साल की उम्र में बना नागा संन्यासी

                                                           

कड़ाके की ठंड में तपस्या करता है ये बालक, 9 साल की उम्र में बना नागा संन्यासी


प्रयागराज: गंगा-यमुना के पावन तट पर आयोजित महाकुंभ मेला अपने धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम के लिए प्रसिद्ध है. 13 जनवरी से पौष पूर्णिमा के अवसर पर शुरू होने वाले इस महाकुंभ में लाखों साधु-संत और भक्त जमा हो रहे हैं. इन सबके बीच 9 साल का नागा एक संन्यासी गोपाल गिरी चर्चा में है.

गोपाल गिरी जी महाराज हिमाचल प्रदेश के चांपा से आए हैं, महाकुंभ के सबसे कम उम्र के नागा संन्यासी हैं. वो श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े के बाहर कड़ाके की सर्दी में बिना कपड़ों के भस्म लगाए तपस्या और ध्यान में लीन रहते हैं. 3 वर्ष की उम्र में उनके माता-पिता ने उन्हें उनके गुरु को दान कर दिया था. वह चार भाइयों में सबसे छोटे हैं और अब सन्यास जीवन में पूरी तरह रच-बस गए हैं.

शुरू में आती थी घर की याद
गोपाल गिरी जी महाराज ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि महाकुंभ के बाद वह पढ़ाई फिर से शुरू करेंगे. संन्यास के बाद उनकी शिक्षा में रुकावट आ गई थी, लेकिन अब वे अपनी पढ़ाई गुरुकुल के माध्यम से पूरी करेंगे. मूलतः बरेली जिले के अकबरपुर गांव के निवासी गोपाल गिरी ने कहा कि शुरू में उन्हें घर की बहुत याद आती थी, लेकिन गुरु के ज्ञान और मार्गदर्शन ने उन्हें मोह-माया से दूर कर दिया.

दिनचर्या और आध्यात्मिक साधना
गोपाल गिरी जी महाराज की दिनचर्या अत्यंत नियमित और अनुशासित है. वह ब्रह्म मुहूर्त में जागकर नित्य क्रियाओं के बाद गुरु के साथ भजन और मंत्रों का अभ्यास करते हैं. उन्होंने हवन का मंत्र भी सीख लिया है और अपने आध्यात्मिक अभ्यास को आगे बढ़ा रहे हैं.

तलवार कला और गुरु दीक्षा
महाकुंभ के दौरान गोपाल गिरी महाराज तलवार कला का प्रदर्शन करते हुए गुरु दीक्षा भी ले रहे हैं. उनकी यह कला और अलौकिक तपस्या उन्हें श्रद्धालुओं के बीच विशेष पहचान दिला रही है.

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