किसानों के लिए गुड न्यूज, मुआवजे में देरी, तो जमीन का मौजूदा मार्केट रेट वाला पैसा, पढें पूरी खबर.....
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2003 की भूमि दर का उपयोग करके भुगतान करना न्याय का मखौल उड़ाना होगा. जज गवई ने कहा कि भूमि मालिकों को लगभग 22 वर्षों से उनके वैध बकाये से वंचित रखा गया है और यदि भूमि के बाज़ार मूल्य की गणना 2003 के अनुसार की जाती है, तो उन्हें काफी नुकसान होगा.
जमीन के मुआवजे पर क्या बोले जज
जज बी आर गवई और के वी विश्वनाथन ने यह निर्णय देते हुए कि भूमि के मूल्य की गणना 2019 के अनुसार की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2003 की भूमि दर का उपयोग करके भुगतान करना न्याय का मखौल उड़ाना होगा. जज गवई ने कहा कि भूमि मालिकों को लगभग 22 वर्षों से उनके वैध बकाये से वंचित रखा गया है और यदि भूमि के बाज़ार मूल्य की गणना 2003 के अनुसार की जाती है, तो उन्हें काफी नुकसान होगा.
किसानों ने किया था मुआवजे का विरोध
साल 2019 में, जब तत्कालीन भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने 2003 की दरों के आधार पर मुआवज़ा दिया, तो जमीन मालिकों ने विरोध किया, लेकिन कर्नाटक HC से उन्हें निराश लौटना पड़ा. इसके बाद उन्होंने ऊपरी अदालत का रुख किया. SC की पीठ ने कहा, "हमें लगता है कि यह एक उपयुक्त मामला है जिसमें इस अदालत को अपीलकर्ताओं की भूमि के बाजार मूल्य के निर्धारण की तारीख को बदलने का निर्देश देना चाहिए." जज गवई ने कहा, "यदि 2003 के बाजार मूल्य पर मुआवज़ा दिए जाने की अनुमति दी जाती है, तो यह न्याय का उपहास करने और अनुच्छेद 300A के तहत संवैधानिक प्रावधानों का मज़ाक उड़ाने के समान होगा." न्याय के हित में, पीठ ने भूमि अधिग्रहण अधिकारी को 22 अप्रैल, 2019 तक अधिग्रहित भूमि के बाजार मूल्य की गणना करने का आदेश दिया.
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