अपनी खास मुहिम 'स्कूल फीस की फांस' के तहत देश के अभिभावकों की परेशानी साझा कर रहा है. अगर आपको भी लगता है कि स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ा रहे हैं, तो आप अपनी परेशानी BI News के साथ इस 7571001360 व्हाट्सएप नंबर पर शेयर कर सकते हैं.
स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के माता-पिता लगातार हो रही फीस बढ़ोतरी से परेशान हैं. इस बीच लोकल सर्कल्स की एक रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें चौंकाने वाली बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक 42 फीसदी पेरेंट्स ने माना है कि बीते तीन सालों में 50 से 80 फीसदी तक स्कूल फीस बढ़ाई गई है. अभिभावकों की इसी चिंता को लेकर BI News ने एक खास मुहिम चलाई है-
"स्कूल फीस बनी तंगी का कारण" इस खास मुहिम के तहत हम देश के उन तमाम अभिभावकों की परेशानी साझा करेंगे. जो कि स्कूलों द्वारा बढ़ाई जा रही फीस से परेशान हैं.अभिभावकों ने शेयर की अपनी परेशानियां-
कानपुर के आलोक श्रीवास्तव
कानपुर के निवासी आलोक श्रीवास्तव ने अपनी परेशानी साझा करते हुए बताया, स्कूल फीस बहुत ही ज्यादा महंगी हो चुकी है. ऐसे में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार कैसे पढ़ाए अपने बच्चों को.
उन्नाव से सौरभ कुमार
उन्नाव से सौरभ कुमार सिंह कहते हैं, "नए सेशन में जो महंगी किताबें और ड्रेस स्कूल से लेनी अनिवार्य कर दी जाती है.
कन्नौज से अर्चना मिश्रा
कन्नौज से अर्चना मिश्रा ने कहा, हर साल स्कूल फीस में 10% की वृद्धि कर देता है और हमें अपनी ही प्रकाशन संस्थाओं से किताबें खरीदने के लिए मजबूर करता है तथा यूनिफॉर्म भी स्कूल से ही खरीदना पड़ता है. हम अभिभावक स्कूल की तानाशाही से प्रताड़ित हैं. सीबीएसई को सख्त नियम लाने चाहिए.
दिल्ली से विकास शुक्ला दिल्ली के निवासी विकास शुक्ला ने बताया, दिल्ली में अपने बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ाना बहुत ही मुश्किल है. इनकी मनमानी की वजह से पूरे वर्ष माता पिता टेंशन में रहते है. फीस के अलावा मनमानी रकम वसूली जाती है. हर साल डेवलेपमेंट चार्ज के नाम पर मोटी रकम चार्ज करते है. किताबें एवं कॉपी स्कूल से ही लेना अनिवार्य है. एक किताब की कीमत 500 तक होती है. एक्टिविटी के नाम पर हर महीने अलग से चार्ज करते है. एनुअल फंक्शन पर जो खर्च होता है उसका पैसा भी पेरेंट्स को ही देना होता है. सरकार को स्कूल की मनमानी पर कंट्रोल करना चाहिए.
कानपुर से अभिषेक सिंह राठौर
कानपुर से अभिषेक सिंह राठौर ने कहा, शहरों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी फीस और अतिरिक्त पाठ्यक्रम के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा है. एक अन्य अभिभावक ने कहा, स्कूल की फीस में 20% की बढ़ोतरी हुई है. मेरे दो बच्चे स्कूल जाते हैं और मेरे पति ही कमाने वाले एकमात्र सदस्य हैं और घर पर एक बुज़ुर्ग व्यक्ति है. गुज़ारा करना बहुत मुश्किल हो गया है. रांची की एक महिला ने कहा कि हम भी अपने 2 बच्चों की उच्च निजी स्कूल फीस की समस्या से परेशान हैं.
कानपुर से अभिषेक सिंह राठौर कानपुर से अभिषेक सिंह राठौर ने बढ़ती फीस पर अपना दुख जाहिर करते हुए कहा, "मेरे बच्चों के स्कूल में भी फीस बढ़ा दी गई है. वो भी बिना जानकारी के. गर्मी की छुट्टियों की फीस भी नहीं छोड़ते या किताब या वर्दी भी एक दुकान से खरीदनी होती है. वहीं एक अभिभावक ने लिखा, स्कूल के दिनों की संख्या घट रही है, लेकिन फीस बढ़ रही है. गर्मी की छुट्टियों के दौरान भी अभिभावकों पर रखरखाव और परिवहन शुल्क जैसे अतिरिक्त शुल्क लगाए जा रहे हैं.
उन्नाव से रहीसा
उन्नाव निवासी रहीसा ने बताया कि मेरा बच्चा इस साल दूसरी कक्षा में पढ़ रहा है. पिछले साल पहली कक्षा में क्वार्टर के लिए लगभग 20 हजार फीस थी. जबकि इस साल बिना किसी सूचना के लगभग 23 हजार फीस बढ़ा दी गई है. इसमें अन्य वार्षिक फीस वृद्धि को छोड़कर 15% की वृद्धि दिखाई गई है. मैं एक प्राइवेट कंपनी में काम करता हूं, जो हमें हर साल 10% की भी बढ़ोतरी नहीं देती है. लेकिन ये स्कूल हर साल फीस में बढ़ोतरी करते हैं. उन्होंने बिना किसी सूचना के बच्चों के सेक्शन को भी बदल दिया.
समस्तीपुर से प्रभाष कुमार
समस्तीपुर से प्रभाष कुमार ने अपनी परेशानी शेयर करते हुए कहा, अभिभावक बहुत परेशान हैं. तीसरी कक्षा की स्कूल की फीस 89 हजार है, उसके ऊपर किताब और ड्रेस मिलकर 1 लाख लग जाती है. हर साल 10% से 15% फीस बढ़ा देते है.
उन्नाव से मनोज मिश्रा
उन्नाव के निवासी मनोज मिश्रा ने बताया कि उनकी सारी कमाई बच्चों की पढ़ाई में ही खत्म हो जाती है.
जयपुर से मोहम्मद शाकिर
जयपुर के रहने वाले मोहम्मद शाकिर ने अपनी परेशानी शेयर करते हुए कहा कि हर साल फीस बढ़ रही है या कोर्स भी चेंज कर दिया जाता है या यूनिफॉर्म चेंज कर दिया जाता है. ऊपर से बोलते हैं स्कूल से ही लेनी . हम अभिभावक कह जायेंगे.
बहुत लोगों की एक ही समस्या- स्कूल से किताब खरीदने पर किया जाता है मजबूर
कानपुर के निवासी रोहित ने बताया कि स्कूल उनसे ही किताब खरीदने का दबाव डालते हैं. मेरठ के निवासी विशाल ने भी कहा कि स्कूल नई किताब के लिए प्रताड़ित करते हैं. स्कूलों से किताब खरीदनी मजबूरी बन गया है. एक अभिभावक ने कहा कि कुछ किताब कभी इस्तेमाल नहीं होते, स्टेशनरी का सामान भी खरीदना मजबूरी है.
डी.डी.त्रिपाठी -फीस लेट होने पर लगती है पेनाल्टी
प्रतापगढ़ से डी.डी.त्रिपाठी,अहमदाबाद की प्राची, नागपुर की कमलेश, बोकारो के नरेश और गोरखपुर के निवासी प्रशांत ने बताया कि कैसे फीस लेट पर पेनाल्ट लगाई जाती है. फीस पर कानून बनाना चाहिए. फीस के नाम पर मनमानी होती है.
कानपुर के आशुतोष पाण्डेय - प्राइवेट स्कूल लेते हैं फालतू चार्ज
कानपुर के आशुतोष पाण्डेय के अनुसार कानपुर में स्कूलों पर कोई कंट्रोल नहीं है. बरेली के चंदन के मुताबिक गरीब अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे, क्योंकि फीस इतनी अधिक है. दिल्ली की मंजू ने बताया कि प्राइवेट स्कूल में कोई न कोई फालतू चार्ज लेते हैं. वहीं अहमदाबाद की सुमित ने कहा कि बढ़ती फीस पर कोई कंट्रोल नहीं है.
गोरखपुर के अखिलेश ने बताया कि कैसे गांव वाले हैं बढ़ती फीस से परेशान
गोरखपुर के अखिलेश ने कहा कि हर वर्ष री-एडमिशन और बढ़ी फीस से ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत परेशानी. स्कूल संचालक की मनमानी हो रही है. वहीं दिल्ली के करोल बाग के एक निवासी ने बताया कि उनके बेटे की फीस में 55% की बढ़ोतरी की गई है, जो कि 3800 से 6500 कर दी है,. जबकि प्रवेश शुल्क 12000 से 25000 कर दिया है. निजी स्कूल माफिया हैं. उत्तर प्रदेश के एक अभिभावक ने मैसेज भेजकर कहा कि कक्षा 5वीं के हिसाब से फीस बहुत ज्यादा है. वो प्रति माह 5000 रुपये दे रही हैं.
कानपुर के संजीव सिंह -स्कूल लूट रहे है
कानपुर के संजीव सिंह के अनुसार स्कूल में फीस और किताबों के नाम पर लूट हो रही है. किदवई नगर के मोहन ने कहा कि फीस बढ़ रही है, किताबें भी महंगी. राजेश जो कि गोविन्द नगर के निवासी हैं उन्होंने कहा , किताबों के नाम पर स्कूलों में लूट हो रही है. पनकी के अभिषेक ने भी कहा कि फीस, किताबों के नाम पर लूट हो रही है. जबकि यशोदा नगर के निवासी अशोक ने कहा कि स्कूल फीस बढ़ोतरी बहुत गंभीर समस्या है.
मोनिका अवस्थी
मैंने पिछले 5 सालों में हमारे बच्चों की स्कूल की फीस डबल होते देखी है. लगभग यह वृद्धि इतनी ज्यादा है कि हमारी सैलरी से कहीं ज्यादा आगे निकल जाती है. सैलरी का एक बड़ा हिस्सा इन स्कूल वालों की फीस भरने में चला जाता है.
कानपुर के नरेंद्र रामनानी
कानपुर के नरेंद्र रामनानी ने कहा, मेरे यहां कानपुर नगर में एक मॉडल स्कूल है. इस स्कूल ने 2025 तक फीस अप्रत्याशित रुप से बढ़ा दी है. मैंने स्कूल के उच्च अधिकारी से भी शिकायत की, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया.
गाजियाबाद की शांतनु कुमार
गाजियाबाद की निवासी शांतनु कुमार के अनुसार जिस स्कूल में उनके परिवार के बच्चे पढ़ रहे हैं. उस स्कूल की फीस अचानक से बढ़ा दी गई और बस किराया भी. सालाना आधार पर 15-20% फीस बढ़ा रहे हैं.
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