टेंशन में ममता सरकार, गवर्नर पहुॅच रहे मुर्शिदाबाद, लग सकता है "राष्ट्रपति शासन"
अगर रिपोर्ट खराब मिली तो गिर जाएगी ममता सरकार? जानिए राज्यपाल के अधिकार
मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हिंसा के बाद गवर्नर सीवी आनंद बोस हालात का जायजा लेने गए हैं. ममता बनर्जी की अपील के बावजूद उन्होंने दौरा करने का मन बनाया. अब सबको उन रिपोर्ट का इंतजार है. सवाल है कि उनकी रिपोर्ट से क्या सरकार को कोई खतरा है?
- गवर्नर बोस मुर्शिदाबाद दौरे पर हैं.
- रिपोर्ट में खामियां मिलने पर राष्ट्रपति शासन संभव.
- ममता सरकार पर संकट की संभावना.
वक्फ संशोधन कानून को लेकर सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक हलचल है. पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद तो महाभारत का कुरुक्षेत्र बन चुका है. मुर्शिदाबाद में जमकर हिंसा हुई. खून-खराबे हुए. पूरा माहौल गरम है. हालांकि, बीएसफ ने मोर्चा संभाल लिया है. अब जमीनी हकीत का पता लगाने के लिए पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस मुर्शिदाबाद जा रहे हैं. मु्ख्यमंत्री ममता की गुजारिश को दरकिनार कर गवर्नर बोस मुर्शिदाबाद दौरे पर हैं. यहां वह जमीनी स्थिति का आकलन करेंगे. वह मुर्शिदाबाद में लॉ एंड ऑर्डर का हाल देखेंगे. पीड़ितों से मिलेंगे. उनकी बातें सुनेंगे और हकीकत में क्या हुआ, अपनी आंखों से देखेंगे. मुर्शिदाबाद की आंखो-देखी पर एक रिपोर्ट तैयार करेंगे. अगर उनकी रिपोर्ट में कानून-व्यवस्था में गंभीर खामियां पाई जाती हैं तो क्या होगा? क्या गवर्नर की खराब रिपोर्ट से ममता सरकार गिर सकती है? आखिर राज्यपाल के अधिकार क्या-क्या होते हैं?
दरअसल, मुर्शिदाबाद 8 अप्रैल से ही हिंसा की आग में जल रहा है. 11 अप्रैल को तो वक्फ कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और भी हिंसक हो गया. उस हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए. मुर्शिदाबाद के सुती, धुलिया, समरेसरगंज और जंगीपुर जैसे इलाकों में जमकर हिंसा हुई. इस दौरान तोड़फोड़, आगजनी और पथराव देखने को मिले. भाजपा का दावा है कि वक्फ पर हिंसा की वजह से करीब 500 हिंदू परिवार पलायन को मजबूर हुए हैं और मालदा में शरण लेकर रह रहे हैं. भाजपा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. वहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर मुर्शिदाबाद में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती है.
क्यों टेंशन में ममता सरकार?

मुर्शिदाबाद में किस तरह हिंसा हुई, यह देखा जा सकता है.
रिपोर्ट भेजने का अधिकार (अनुच्छेद 356): अगर राज्यपाल को लगता है कि राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है या कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई है तो वे केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट भेज सकते हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार राष्ट्रपति को राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकती है. इसके बाद राज्य सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है और विधानसभा को निलंबित या भंग किया जा सकता है.

मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद इलाके में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. (PTI)
राज्य के लॉ एंड ऑर्डर पर निगरानी: गवर्नर को राज्य की कानून-व्यवस्था पर नजर रखने और केंद्र को सूचित करने का पूरा अधिकार है. मुर्शिदाबाद हिंसा जैसे मामलों में अगर गवर्नर की रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएं अथवा खामियां उजागर होती हैं तो यह केंद्र के लिए राज्य में दखल का आधार बन सकता है.
विशेष परिस्थितियों में दखल: यह तो सबको पता है कि किसी भी राज्य में राज्यपाल केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है. गवर्नर केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में ही काम करते हैं. अगर गवर्नर को लगता है कि राज्य सरकार संवैधानिक दायित्वों का पालन नहीं कर रही, तो वे सेंटर यानी केंद्र को कार्रवाई की सलाह दे सकते हैं.

मुर्शिदाबाद में हालात काबू में
- जैसे राज्यपाल की रिपोर्ट में यह स्पष्ट होना चाहिए कि राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह विफल हो गया है.
- केंद्र सरकार को इस रिपोर्ट को संसद में पेश करना होगा. फिर संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलनी होगी.
- सुप्रीम कोर्ट भी इस प्रक्रिया की समीक्षा कर सकता है. ऐसा एस. आर. बोम्मई बनाम भारत सरकार (1994) मामले में तय हुआ था.
- यही वजह है कि अब सबकी नजर उस रिपोर्ट पर है, जो गवर्नर तैयार करेंगे.
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