आज का पांचांग दिन शुक्रवार दिनांक 25/04/2025
आज मिथिलेश क्लिनिक के संचालक जनरल फिजिशियन डॉक्टर समरदीप पांडे ने विधायक महेश त्रिवेदी के निज निवास पर निशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर लगाया l कार्यक्रम की शुरुआत विधायक महेश त्रिवेदी ने महापुरुषों पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कार्यक्रम की शुरुआत की जिसमें विधायक महेश त्रिवेदी ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया। मुख्य रूप से डॉक्टर समरदीप पांडे का सहयोग विधायक महेश त्रिवेदी ने किया डाक्टर समरदीप पांडेय उनके सहयोगी टीम ने उच्च रक्तचाप मधुमेह अस्थमा वायरल फीवर जैसी बीमारियों से ग्रसित लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया शिविर में विधायक महेश त्रिवेदी ने इस सराहनीय कार्य के लिए डॉक्टरों की टीम का माल्यार्पण कर स्वागत किया। विधायक महेश त्रिवेदी ने भी अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराया। शिविर में उपस्थित लोगों को भी स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने के लिए जागरूक किया इस आयोजन में मुख्य रूप से डॉक्टर समरदीप पांडेय का सहयोग नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संजय वर्मा हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आकाश सिंह डॉक्टर सोनी उत्तम स्वास्थ्य केयर पैथोलॉजी के डॉक्टर आलोक ने किया परीक्षण में मरीजों की संख्या 228 रही। डॉक्टर समरदीप पांडेय वह उनके सहयोगी टीम समय-समय पर इसी तरीके की निशुल्क चिकित्सा प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर गरीब निर्धन अशिक्षित मजबूर असहाय लोगों की सेवा करते रहते हैं। शिविर में मुख्य रूप से उपस्थित रहे। भाजपा के वरिष्ठ नेता दिलीप सिंह, वरिष्ठ नेता अनिल त्रिपाठी, वरिष्ठ नेता राजेश श्रीवास्तव, निराला नगर मंडल अध्यक्ष विनीत दुबे, किसान मोर्चा जिला कार्यकारिणी सदस्य अवध बिहारी अवस्थी वार्ड अध्यक्ष धर्मेंद्र शुक्ला, विनय मालवी, स्नेहा आईटीआई की प्रिंसिपल स्नेहा सचान, डॉ आकाश सिंह, भारी संख्या में किदवई नगर विधानसभा के क्षेत्रीय जनता उपस्थित रही
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दिनांक:- 22/04/2025, मंगलवार
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मुर्शिदाबाद: में फिर से लौट रही जिंदगी पटरी पर , 10 दिन बाद स्कूल खुले ; जानें लोगों की राय ....
वक्फ कानून को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जो हिंसा हुई, उसकी वजह से स्थानीय लोगों की जिंदगी का ठहर गई थी. हालांकि अब फिर से लोगों की जिंदगी पटरी पर आ रही है. नतीजतन लोग फिर से अपने काम पर वापस लौट रहे हैं. इसके साथ ही हिंसा प्रभावित इलाकों में दुकाने भी खुलने का सिलसिला शुरू हो चुका है. यहां अब बच्चों के स्कूल भी 10 दिन बाद स्कूल खुल गए हैं. 11 अप्रैल को हुई हिंसा के कारण स्कूल बंद कर दिए गए थे.
इस बीच एक शख्स ने कहा कि धुलियान में अब स्थिति बेहतर है. अब कोई समस्या नहीं है. पहले कभी यहां ऐसी घटना नहीं हुई. मुर्शिदाबाद के ही एक अन्य शख्स देव कुमार साहा ने कहा कि आज 10 दिनों के बाद स्कूल खुल गए हैं... हिंसा के कारण छात्रों के लिए स्कूल और ट्यूशन बंद कर दिए गए थे. इससे उनकी पढ़ाई पर बहुत असर पड़ने वाला है.
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की टीम ने पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद रविवार को राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस से मुलाकात की. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर के नेतृत्व में आयोग के सदस्यों ने कोलकाता स्थित राजभवन में मुलाकात की. उन्होंने राज्यपाल को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी.
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने मीडिया से बात करते हुए बताया, "हमने राज्यपाल से मुलाकात की और अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान जो भी देखा और सुना है, उसके बारे में राज्यपाल को अवगत कराया है. मैंने यह भी कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार को महिलाओं और उनके परिवारों की रक्षा के लिए बहुत सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि उन्हें राहत मिले और डर का माहौल खत्म हो जाए."
राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने 18 और 19 अप्रैल को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने पीड़ित महिलाओं की आपबीती सुनी. मुर्शिदाबाद जिले के धुलियान की महिलाओं ने केंद्र से हिंसा प्रभावित इलाकों में स्थायी रूप से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) शिविर स्थापित करने का आग्रह किया है, ताकि सांप्रदायिक अशांति के बाद उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
एक महिला ने प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य के पैर छूते हुए कहा कि हम यहां स्थायी बीएसएफ शिविरों के बिना जीवित नहीं रह सकते. यदि आवश्यकता हुई, तो हम उन्हें स्थापित करने के लिए अपनी जमीन और घर देने के लिए तैयार हैं. मुर्शिदाबाद जिला प्रशासन ने संपत्ति के नुकसान पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की है. शुरुआती अनुमानों के अनुसार, अशांति के दौरान 250 से अधिक घरों और 100 दुकानों में तोड़फोड़ की गई. जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआती अनुमान है, विस्तृत आकलन पूरा होने पर वास्तविक आंकड़ा बढ़ सकता है.
किस्मत के खेल भी निराले होते हैं. किसके नसीब में क्या है ये कोई नहीं जानता. 25 साल पहले एक नन्हीं सी जान को कचरे में फेंकने वालों ने ये कहां सोचा होगा कि ये बच्ची बड़ी होकर कुछ ऐसा कर जाएगी, जिसकी चर्चा हर तरफ होगी. ये बच्ची लोगों के लिए एक प्रेरणा बनेगी. महाराष्ट्र के जलगांव रेलवे स्टेशन पर 25 साल पहले कूड़ेदान में एक दृष्टिबाधित बच्ची को फेंक दिया गया था. ये बच्ची अब नागपुर कलेक्टर दफ्तर में अपनी पहली पोस्टिंग के लिए तैयार है.
बच्ची को उस समय कूड़ेदान से निकालकर बाल सुधार गृह में पहुंचाया गया था. उस बच्ची ने बड़े होकर लोक सेवा परीक्षा पास की, अब उसकी पोस्टिंग नागपुर कलेक्टर ऑफिस में होने जा रही है. लड़की का नाम माला पापलकर है. पिछले साल मई में जब उसने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) की क्लर्क-कम-टाइपिस्ट परीक्षा (ग्रुप सी) पास की तो हर तरफ उसकी खूब चर्चा हुई थी. माला को 3 दिन पहले एक पत्र मिला, जिसमें उसे नागपुर कलेक्टरेट में राजस्व सहायक के रूप में उसकी पोस्टिंग के बारे में बताया गया था.
माला सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अगले 8-10 दिनों में कलेक्टर दफ्तर में काम संभाल सकती है. बता दें कि कुछ कुछ प्रक्रियात्मक परेशानी की वजह से उसकी पोस्टिंग में कुछ महीने की देरी हुई है.
माला जब कूड़ेदान में मिली थी तब किसी को नहीं पता था कि उसके माता-पिता कौन हैं. भूख से तड़पती नवजात को पुलिस जलगांव के रिमांड होम लेकर पहुंची थी. वहां पर सबसे पहले उसे फीड कराया गया. उसके बाद उसे वहां से 270 किलोमीटर दूर अमरावती के परतवाड़ा में बधिर और ब्लाइंड लोगों के लिए बने बढ़िया सुविधाओं वाले पुनर्वास गृह में भेज दिया गया था. यहीं पर इस बच्ची का नाम माला पापलकर रखा गया. माला को ये सरनेम अपने मेंटर 81 साल के शंकरबाबा पापलकर से मिला. शंकरबाबा पापलकर पद्म पुरस्कार विजेता हैं. उसके माला के भीतर की प्रतिभा को पहचानकर उसे तराशा और निखारा. उन्होंने माला को ब्रेल लिपि सिखाई. उसे पढ़ा लिखाकर दृष्टिबाधित और अनाथ बच्चों में सबसे अलग बनाया.
माला को शंकरबाबा के साथ ही अमरावती के यूनिक एकेडमी के निदेशक प्रोफेसर अमोल पाटिल के रूप में एक और नेक इंसान मिला. जिसने उसे एमपीएससी परीक्षाओं के लिए कोचिंग देने की जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठाई. माला ने पोस्ट ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की. इससे पहले उसने अगस्त 2022 और दिसंबर 2023 में तहसीलदार पद के लिए परीक्षा दी, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी.
माला ने बाद में एमपीएससी क्लर्क (टाइपराइटिंग) परीक्षा दी और इसे पास कर लिया. उसकी इस सफलता से परतवाड़ा में निराश्रित केंद्र में खुशी की लहर छा गई. ये जगह माला का घर है, जहां पिछले 25 सालों वह रह रही है. माला को उसकी सफलता के लिए अमोल पाटिल समेत उसके अन्य शिक्षकों ने शनिवार को सम्मानित किया.
अमोल पाटिल ने कहा कि माला की सफलता संतुष्ट करने वाली है. उन्होंने इसे अन्य प्रतियोगी परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए प्रेरणा बताया. बता दें कि उनके इंस्टीट्यूट के 6-7 छात्रों को रेवेन्यू असिस्टेंट चुना गया है.